लखनऊ : भाजपा सांसद कौशल किशोर का बेटा जेल नहीं जाएगा. इसका कारण पुलिसिया खेल है. पुलिस ने जिन धाराओं (420, 120बी व 505बी) में मुकदमा दर्ज किया है, उन सभी धाराओं में 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है. नियमानुसार 7 साल से कम की सजा वाली धाराओं में गिरफ्तारी की संभावना लगभग शून्य के बराबर है.
घटना में इस्तेमाल पिस्टल की बरामदगी में भी पुलिस ने किया खेल
सांसद के बेटे आयुष पर गोली दागने में इस्तेमाल किए गए पिस्टल की बरामदगी में भी पुलिस ने खेल किया है. घटना के बाद पुलिस ने बताया कि आयुष ने लाइसेंसी पिस्टल से खुद पर गोली चलवाई. लेकिन, शाम होते-होते पुलिस ने एक नई स्क्रिप्ट लिख डाली. पुलिस ने सांसद के बेटे व उसके साले के खिलाफ रिपोर्ट तो दर्ज कर लिया. मगर, जब बात लाइसेंसी पिस्टल की बरामदगी की बारी आई तो पुलिस ने लाइसेंसी पिस्टल हटाकर एक अवैध फैक्ट्री मेड .32 बोर का पिस्टल लिखा-पढ़ी में दिखा दिया. सूत्रों की मानें तो वारदात में इस्तेमाल पिस्टल का लाइसेंस सांसद की विधायक पत्नी के नाम था. पुलिस ने विधायक को बचाने के लिए लिखा-पढ़ी में लाइसेंसी पिस्टल हटा दी.
वकील ने कहा, धारा 307 में मामला करना चाहिए दर्ज
आपराधिक मामलों के जानकार वकील नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे मामलों में 307 की धारा लगाई जानी चाहिए. क्योंकि, उक्त मामले में जान लेने का प्रयास किया गया है. ऐसे में 307 समेत कई धारा में केस दर्ज करना चाहिए.
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