लखनऊ: रेलवे के ठेके-पट्टे का सिंडीकेट चला रहा माफिया व हरदोई के हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया से पुलिस कस्टडी रिमांड पर 30 घंटे में 101 सवाल दागे गए. पूछताछ में सुरेंद्र कालिया खुद पर हमले की बात रटता रहा. जब पुलिस ने एफआईआर और वीडियो फुटेज दिखाकर सवाल पूछने शुरू किए तो सुरेंद्र कालिया ने सच उगल दिया. पुलिस ने सवाल दागा, किसके इशारे पर धनंजय सिंह को फंसाया? इस पर सुरेंद्र गोलमोल जवाब देता रहा. उसने बताया कि धनंजय सिंह उसकी हत्या कराना चाहते थे. इसलिए उसने उनका नाम लिया और मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने पूछा कि किसके लिए काम करते हो, इस पर भी सुरेंद्र ने कोई सटीक उत्तर नहीं दिया.
कोलकाता में नाटकीय गिरफ्तारी पर भी पूछे सवाल
पुलिस अफसरों ने बताया कि सुरेंद्र से उसकी फरारी और फिर कोलकाता में गिरफ्तारी से जुड़े सवाल पूछे गए. पूछा गया कि कोलकाता कैसे पहुंचे और गिरफ्तारी कैसे हुई? उसने कुबूला, यूपी में एनकाउंटर की डर से कोलकाता भाग गया था, जहां वहां पकड़ा गया. अगला सवाल, मुख्तार की गैंग के लिए काम करते हो? इस पर सुरेंद्र गोलमोल जवाब देता नजर आया. पुलिस सूत्रों का कहना है कि मुख्तार गिरोह की मदद से ही सुरेंद्र कोलकाता भागा था. फिर उसकी शह पर ही कोलकाता में उसकी नाटकीय तरीके से गिरफ्तारी हुई. फिलहाल सुरेंद्र ने इस पर कोई सटीक उत्तर नहीं दिया.
DCP सेंटल समेत चार अफसरों ने अलग-अलग पूछे सवाल
सुरेंद्र कालिया को बीते मंगलवार दोपहर 12 बजे जिला जेल से कोतवाली लाया गया. यहां पर उससे डीसीपी मध्य सोमेन वर्मा, एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा, एसीपी विक्रम सिंह व इंस्पेक्टर ने अलग-अलग पूछताछ की. एडीसीपी चिरंजीव ने पहले उसके हर जवाब को सही माना. फिर वीडियो फुटेज दिखाकर कई सवाल पूछे. मसलन अगर यहां पर खड़े थे तो गोली उधर से चली और रूप को कैसे लग गई. अस्पताल से बाहर निकलते समय कदम रुके, तब फायरिंग क्यों नहीं हुई, जबकि तब निशाना आसानी से लग जाता. गाड़ी पर जिस जगह पर गोली लगी है, वहां सीधे फायरिंग से गोली नहीं लग सकती है. एफआईआर में जो लिखाया है, वह फुटेज देखने से ही झूठ लग रहा है. इन सवालों में सुरेंद्र फंसता चला गया. इसी तरह अन्य अफसरों के सवालों में भी वह फंसता नजर आया. अभी सुरेंद्र से पूछताछ जारी है. गुरुवार 12 बजे तक सुरेंद्र की रिमांड पूरी हो जाएगी. उसके बाद उसे जेल भेज दिया जाएगा.
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यह है पूरा मामला
13 जुलाई को सुरेंद्र ने आलमबाग कोतवाली में एफआईआर लिखायी थी कि उस पर धनंजय सिंह ने फायरिंग करवायी, जिसमें वह बाल-बाल बच गया. इसमें उसका निजी गनर रूप कुमार घायल हो गया था. सीसीटीवी फुटेज से यह घटना संदिग्ध दिखी थी और उसके गिरफ्तार चार साथियों ने सच कुबूल कर दिया था. इसके बाद ही सुरेंद्र फरार हो गया था और फिर नाटकीय तरीके से वह कोलकाता में अवैध पिस्टल के साथ पकड़ा गया था. इसके बाद ही पुलिस उसे वारंट बी के तहत कोलकाता से लखनऊ जेल लाने में लगी थी. 24 मई को उसे लखनऊ कोर्ट में पेश किया गया था. उसकी रिमांड एक जून से तीन जून की सुबह तक स्वीकृत हुई.