लखनऊ : बीते दो दिनों से बारिश होने के कारण चिलचिलाती धूप से लोगों को राहत मिली है. 24 जून से अच्छी बारिश होने का अनुमान विशेषज्ञों ने लगाया है. मौसम विभाग के विशेषज्ञों का दावा है अबकी बार नॉर्मल बारिश होगी और फसलों के लिए कोई नुकसान नहीं होगा. बीते दो दिन से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मौसम सुहावना बना हुआ है हालांकि कि बारिश होने के कारण उमस बरकरार है. फिलहाल लोगों को चिलचिलाती धूप से राहत मिली है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रो. विभूति राय ने बताया कि गर्मी के मौसम में जब हिंद महासागर में सूर्य विषवत रेखा के ठीक ऊपर होता है तो मानसून बनता है. इस प्रक्रिया में गर्म होकर समुद्र का तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है. उस दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुंच चुका होता है. ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं. ये हवाएं आपस में क्रॉस करते हुए विषवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं. इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. विषवत रेखा पार करके हवाएं और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं. इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक होता है. ऐसी स्थिति में हवाएं समुद्र से जमीनी हिस्सों की ओर बहने लगती हैं. ये हवाएं समुद्र के जल के वाष्पन से पैदा होने वाली वाष्प को सोख लेती हैं और धरती पर आते ही ऊपर उठती हैं और बारिश करती हैं.
प्रो. विभूति राय ने बताया कि मानसून भारत के लिए बहुत ही जरूरी एटमॉस्फेयर है. अबकी बार मानसून कुछ देरी से भारत में दस्तक दिया है. खासकर दक्षिणी पश्चिमी मानसून हर वर्ष जून की पहली तारीख को केरल में टकरा जाता है, लेकिन अबकी बार नौ तारीख के आसपास आया है. इसका असर यह हुआ कि जब मानसून धीरे-धीरे आगे बढ़ा था तो बिपरजॉय साइक्लोन डेवेलप हुआ. जो अरेबियन महासागर से होता हुआ गुजरात और फिर मध्य प्रदेश में उसका असर देखने को मिला. आम लोगों को तो जब बरसात हो जाती है तो लगता है कि मानसून आ गया है, लेकिन अबकी बार 10 दिन मानसून आने में जो देरी हुई है. इसका असर आने वाले कुछ महीनों में दिखाई देने लगेगा. खासकर कुछ क्षेत्रों में दिखाई देगा जहां पर बारिश कम हुई है.