लखनऊ : आयुर्वेदिक घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ ने तात्कालिक निदेशक प्रोफेसर एसएन सिंह, उमाकांत पूर्व प्रभारी शिक्षा आयुर्वेदिक, राजेश सिंह, कैलाश चंद भास्कर सहित 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. आयुर्वेदिक घोटाले के संदर्भ में वर्ष 2022 में बजरतहंज थाने में धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 B IPC, 66 (D) IT Act एवं 7/7(a)/8(1)(2) P.C. Act में एफआई आर दर्ज कराई गई थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी. एसटीएफ ने आयुर्वेदिक घोटाले के संदर्भ में जांच पूरी कर ली है. जिसमें 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है.
जानें क्या है आयुर्वेदिक घोटाला : नीट 2022 के परिणाम आने के बाद उत्तर प्रदेश के आयुर्वेदिक व यूनानी कॉलेजों में अभ्यर्थियों को नियमों को ताक पर रखते हुए दाखिला दिया गया. कम रैंक वाले अभ्यर्थियों को अच्छे कॉलेजों में धांधली करते हुए दाखिला दिया गया. जांच में लगभग 891 ऐसे अभ्यर्थी मिले हैं जिनकी रैंक कम होने के बावजूद भी उन्हें अच्छे आयुर्वेदिक व यूनानी कॉलेजों में दाखिला दे दिया गया. सबसे ज्यादा दाखिला आयुर्वेदिक कॉलेजों में दिए गए. घालमेल करते हुए कम रैंक के विद्यार्थियों को अच्छे कॉलेजों में दाखिला मिलने का खुलासा होने के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी.
शिकायतकर्ता के खिलाफ ही दाखिल की गई चार्जशीट : एसटीएफ ने अपनी जांच पूरी करने के बाद तात्कालिक डायरेक्टर प्रोफेसर एसएन सिंह को आरोपी बनाया व चार्जशीट दाखिल की, जबकि आयुर्वेद घोटाले का खुलासा होने के बाद तात्कालिक प्रोफेसर एसएन सिंह ने ही 4 नवंबर को हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में काउंसिलिंग कराने वाली एजेंसी को आरोपी बनाया गया था. एसटीएफ ने जांच करते हुए एसएन सिंह को आरोपी बनाया और सबूतों के आधार पर एसएन सिंह के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है.
अभ्यर्थियों से लिए गए थे 5-5 लाख रुपये : आयुर्वेदिक घोटाले के तहत 891 छात्रों को कम मेरिट होने के बावजूद नियमों को ताक पर रखते हुए एडमिशन दिया गया था. सभी 891 छात्रों का दाखिला जहां पहले ही निरस्त किया जा चुका है तो वही जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन 891 छात्रों को दाखिला दिया गया उनसे दाखिले के बदले 5-5 लाख रुपये वसूले गए. एसटीएफ की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने मामले के सामने आने के बाद सबूत मिटाने के भी प्रयास किए हैं. जिसके चलते सरकारी दस्तावेज व वेबसाइट से छेड़छाड़ की गई है. हालांकि अपनी जांच पूरी करने के बाद एसटीएफ का कहना है कि विवेचना के दौरान आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं.
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