लखनऊ : कुकरैल रिवर फ्रंट के लिए जिस अवैध बस्ती अकबरनगर को हटाने बात हो रही है, इसके सर्वे में सामने आया है कि यहां 1200 में से 300 अवैध कब्जेदार करोड़पति हैं. अकबरनगर में मकान और दुकानें बनाकर इन्होंने किराए पर दे दिया है और शहर से सटे इलाकों में अपने आलीशान आशियाने खड़े कर लिए हैं. लखनऊ नगर निगम ने अपने सर्वे के बाद यह रिपोर्ट शासन के समक्ष पेश की है.
मकान और दुकानों से हर साल ले रहे लाखों किराया
अकबरनगर में राजनीतिक दलों से जुड़े कई नेताओं ने नदी किनारे जमीन कब्जा कर पक्के मकान बनाए और किराए पर उठा दिए हैं. खुद महानगर, गोमतीनगर और गोमतीनगर विस्तार में रहते हैं और इन अवैध इमारतों से हर महीना किराया वसूल रहे हैं. अवैध तरीके से बनी दुकानों से भी हर साल लाखों कमा रहे हैं.
नगर निगम की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, अकबरनगर में बने करीब 1200 मकानों में करीब 300 मकान ऐसे हैं, जहां सिर्फ किराएदार रहते हैं. यही वजह है कि अभियान शुरू होने के बाद इन किराएदारों ने बिना विरोध मकान खाली करने को हामी भर दी. इनमें ज्यादातर मकान छोड़ भी चुके हैं.
कई दुकानों का सालाना तीन करोड़ तक का टर्नओवर
वहीं, नदी की जमीन पर सड़क की तरफ बनी 101 व्यवसायिक इमारतों में फर्नीचर समेत कई दुकानें चल रही हैं. इनकी सालाना आमदनी का रिकॉर्ड निकाला गया तो कई दुकानों से सालाना तीन करोड़ रुपये तक का टर्नओवर सामने आया. इनमें कई दुकानदार ऐसे हैं, जिन्होंने सड़क से सटी पीडब्ल्यूडी की जमीन पर भी कब्जा कर पक्का निर्माण करवा लिया है. पीडब्ल्यूडी ने भी इन्हें नोटिस दिया है.
ध्वस्तीकरण पर स्टे के बाद भी तनाव का माहौल
ध्वस्तीकरण पर स्टे के बाद भी अकबरनगर में तनाव का माहौल है. यहां के बाकी लोग भी कोर्ट में अपील करने की तैयारी में हैं. इस बीच हालात पर नजर रखने के लिए जिला प्रशासन ने अयोध्या रोड पर सीसीटीवी कैमरों से लैस चार अस्थायी कैंप लगाए हैं और फोर्स भी तैनात कर दी है. इन कैंप में आवासों के लिए आवेदन भी लिए जाएंगे. फिलहाल अकबरनगर में बाहर से सामान लाने पर रोक है.
22 जनवरी को होगा फैसला
हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने अकबरनगर में अवैध कब्जों के मामले में एलडीए की दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि पुनर्वास योजना के लिए आवेदन न करने वालों का फैसला 22 जनवरी को ही होगा. एलडीए ने अकबरनगर में रहने वालों को 31 दिसंबर तक पुनर्वास योजना में आवेदन करने का निर्देश दिए जाने की मांग की थी. इसके साथ आवंटन के एक सप्ताह में शिफ्ट न होने पर ध्वस्तीकरण की अनुमति भी मांगी थी.
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