लखनऊ: राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी नगर निगमों में विज्ञापनों के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी गई है. अब राज्य सरकार ने विज्ञापनों के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने की कवायद शुरू कर दी है. नगर विकास विभाग की इस नई व्यवस्था शुरू होने से करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी.
ऑनलाइन होगी सभी प्रक्रिया
राज्य सरकार विज्ञापनों के फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से शिकंजा कसने के लिए एडवर्टाइजमेंट मॉडल में बदलाव कर रही है. इसके लिए राज्य सरकार के नगर विकास विभाग की तरफ से ऑनलाइन माध्यम से पूरी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. नगर विकास विभाग की तरफ से प्रदेश के सभी नगर निकायों को पत्र भेजकर यह निर्देश दिए गए हैं कि विज्ञापन के माध्यम से मिलने वाले टैक्स का पूरा ब्यौरा शासन को उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही इसकी पूरी डिटेल ऑनलाइन दर्ज की जाए और इस पोर्टल पर व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ा जाए.
विज्ञापनों से होने वाली इनकम का नहीं है ब्यौरा
नगर विकास विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, नगर निकायों में अभी तक विज्ञापन से होने वाली आय का कोई लेखा-जोखा रखने की व्यवस्था ऑनलाइन नहीं है. ऐसी स्थिति में कर्मचारी और अधिकारियों की मिलीभगत करके विज्ञापनों से आने वाले टैक्स में फर्जीवाड़ा किया जाता रहा है. अब सरकार ने इस व्यवस्था को भी ऑनलाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. दरअसल बड़ी-बड़ी होर्डिंग में छपने वाले विज्ञापन और विज्ञापन एजेंसियों से मिलीभगत करके नगर निगम के कर्मचारी-अधिकारी बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा करते हैं.
स्थानीय निकाय निदेशक ने जारी किए हैं आदेश
उत्तर प्रदेश की स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. काजल की तरफ से सभी नगरीय निकायों को पत्र भेजकर विज्ञापन साइटों से मिलने वाले टैक्स का पूरा मॉड्यूल तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रचार से संबंधित सभी विज्ञापनों को नगरीय निकाय स्तर से दी जाने वाली अनुमति को लेकर सभी जानकारी 'ई नगर सेवा पोर्टल' पर उपलब्ध कराने की बात भी कही गई है.
अवैध होर्डिंग्स कारोबार पर भी कसेगा शिकंजा
नगर विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, होर्डिंग के अवैध कारोबार पर भी इस नई व्यवस्था से शिकंजा कसेगा. तमाम होर्डिंग्स कारोबार करने वाले व्यक्ति निचले स्तर पर कर्मचारियों से मिलीभगत करके अपने विज्ञापनों को लगाते रहते हैं और इसका कोई टैक्स नगर निगम को नहीं जाता. ऐसे में बड़े स्तर पर यह फर्जीवाड़ा होता रहा है, लेकिन अब जब सारी व्यवस्था ऑनलाइन हो जाएगी. साथ ही जितनी होर्डिंग शहरों में होंगी, उनकी भी पूरी व्यवस्था ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज होगी. ऐसे में भ्रष्टाचार करने की गुंजाइश बहुत ही कम होगी.