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लखनऊ मेट्रो ने शुरू किया अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से मेट्रो का सैनिटाइजेशन - लखनऊ खबर

यूपी मेट्रो रेल में अल्ट्रा वॉयलेट (पराबैंगनी) किरणों से मेट्रो कोच को सैनिटाइज किया जाएगा. ऐसा करने वाली यूपी मेट्रो रेल देश की पहली मेट्रो बन गई है. न्यूयॉर्क मेट्रो से प्रेरणा लेकर यूपी में यह व्यवस्था की गई है.

लखनऊ मेट्रो ने शुरू किया अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से मेट्रो का सैनिटाइजेशन
लखनऊ मेट्रो ने शुरू किया अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से मेट्रो का सैनिटाइजेशन
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Published : Jan 30, 2021, 8:32 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन अल्ट्रा वॉयलेट (पराबैंगनी) किरणों से मेट्रो कोच को सैनिटाइज करने वाली भारत की पहली मेट्रो सेवा बन गई है. यात्रियों को मेट्रो से सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित कराने की दिशा में यह एक अभूतपूर्व पहल है. न्यूयॉर्क मेट्रो की इस प्रणाली के सफल परीक्षण के बाद इससे प्रेरणा लेते हुए उत्तर प्रदेश मेट्रो भारत में ऐसा करने वाली पहली मेट्रो सेवा बन गई है.

टोकनों को यूवी किरणों से किया जा रहा था सैनिटाइज
इससे पहले यूपी मेट्रो ने मेट्रो यात्रा टोकनों को यूवी किरणों से सैनिटाइज करने का भी सफल प्रयोग किया है, जो सफलतापूर्वक जारी है. ये तकनीक यूपी मेट्रो ने खुद विकसित की थी जो कि कोविड के बाद काफी अहम तकनीक साबित हुई है. अब यूपीएमआरसी ने पूरी ट्रेन को ही अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से सैनिटाइज करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है. लखनऊ मेट्रो ने सैनिटाइजेशन उपकरण बनाने वाली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर यूवी लैंप विकसित किया है, जो कि पराबैगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रणाली पर काम करता है.

इस तरह काम करती है तकनीक
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि इस उपकरण में 254 नेनो-मीटर तक की शॉर्ट वेवलेंथ वाली अल्ट्रवॉयलेट-सी किरणों के जरिए सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट किया जाता है. ये किरणें इन सूक्ष्म जीवों के डीएनए व न्यूक्लीक ऐसिड को नष्ट कर इनका नाश कर देती हैं. अक्टूबर, 2020 में इस उपकरण को डीआरडीओ से मंजूरी मिली थी, वहीं इस उपकरण को इस्तेमाल करने में कीमत भी काफी कम आती है. यूवी लैंप से सैनिटाइजेशन सोडियम हाइपोक्लोराइट की तुलना में बेहद सस्ता भी है. एक आंकड़े के मुताबिक यूवी लैंप के जरिए सैनिटाइजेशन से लागत 40 गुना तक कम भी हो जाएगी.

30 मिनट में सभी कोच सैनिटाइज
उन्होंने बताया कि यूपीएमआरसी में प्रयोग किए जा रहे इस उपकरण के जरिए 30 मिनटों में ही एक मेट्रो ट्रेन के सभी कोच सेनिटाइज किए जा सकते हैं. रिमोट के जरिए संचालित इस उपकरण को ऑन करने के एक मिनट बाद मशीन से रेडिएशन निकलना शुरू होता है. गौरतलब है कि चिकित्सा क्षेत्र में ऑपरेशन थियेटर को सैनिटाइज करने के लिए इसी किस्म के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है.

यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा हमारी प्राथमिकता
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है. जब हमने यूवी रेडिएशन के जरिए टोकन सैनिटाइज करने की शुरुआत की थी, तब भी हमें यात्रियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी. अब हम पूरी ट्रेन को यूवी किरणों के जरिए सैनिटाइज करने की प्रक्रिया शुरू की है. इस नई पहल के जरिए हम जनता को एक सुरक्षित सफर का आश्वासन देते हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन अल्ट्रा वॉयलेट (पराबैंगनी) किरणों से मेट्रो कोच को सैनिटाइज करने वाली भारत की पहली मेट्रो सेवा बन गई है. यात्रियों को मेट्रो से सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित कराने की दिशा में यह एक अभूतपूर्व पहल है. न्यूयॉर्क मेट्रो की इस प्रणाली के सफल परीक्षण के बाद इससे प्रेरणा लेते हुए उत्तर प्रदेश मेट्रो भारत में ऐसा करने वाली पहली मेट्रो सेवा बन गई है.

टोकनों को यूवी किरणों से किया जा रहा था सैनिटाइज
इससे पहले यूपी मेट्रो ने मेट्रो यात्रा टोकनों को यूवी किरणों से सैनिटाइज करने का भी सफल प्रयोग किया है, जो सफलतापूर्वक जारी है. ये तकनीक यूपी मेट्रो ने खुद विकसित की थी जो कि कोविड के बाद काफी अहम तकनीक साबित हुई है. अब यूपीएमआरसी ने पूरी ट्रेन को ही अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से सैनिटाइज करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है. लखनऊ मेट्रो ने सैनिटाइजेशन उपकरण बनाने वाली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर यूवी लैंप विकसित किया है, जो कि पराबैगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रणाली पर काम करता है.

इस तरह काम करती है तकनीक
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि इस उपकरण में 254 नेनो-मीटर तक की शॉर्ट वेवलेंथ वाली अल्ट्रवॉयलेट-सी किरणों के जरिए सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट किया जाता है. ये किरणें इन सूक्ष्म जीवों के डीएनए व न्यूक्लीक ऐसिड को नष्ट कर इनका नाश कर देती हैं. अक्टूबर, 2020 में इस उपकरण को डीआरडीओ से मंजूरी मिली थी, वहीं इस उपकरण को इस्तेमाल करने में कीमत भी काफी कम आती है. यूवी लैंप से सैनिटाइजेशन सोडियम हाइपोक्लोराइट की तुलना में बेहद सस्ता भी है. एक आंकड़े के मुताबिक यूवी लैंप के जरिए सैनिटाइजेशन से लागत 40 गुना तक कम भी हो जाएगी.

30 मिनट में सभी कोच सैनिटाइज
उन्होंने बताया कि यूपीएमआरसी में प्रयोग किए जा रहे इस उपकरण के जरिए 30 मिनटों में ही एक मेट्रो ट्रेन के सभी कोच सेनिटाइज किए जा सकते हैं. रिमोट के जरिए संचालित इस उपकरण को ऑन करने के एक मिनट बाद मशीन से रेडिएशन निकलना शुरू होता है. गौरतलब है कि चिकित्सा क्षेत्र में ऑपरेशन थियेटर को सैनिटाइज करने के लिए इसी किस्म के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है.

यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा हमारी प्राथमिकता
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है. जब हमने यूवी रेडिएशन के जरिए टोकन सैनिटाइज करने की शुरुआत की थी, तब भी हमें यात्रियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी. अब हम पूरी ट्रेन को यूवी किरणों के जरिए सैनिटाइज करने की प्रक्रिया शुरू की है. इस नई पहल के जरिए हम जनता को एक सुरक्षित सफर का आश्वासन देते हैं.

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