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भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार

कोविड और एच3एन2 इनफ्लुएंजा को ध्यान में रखते हुए भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में अलग वार्ड बनाया गया हैं. हालांकि यहां कई विभागों में वेंटिलेटर स्टाफ की कमी के साथ कई ओपीडी विशेषज्ञ के नहीं होने के कारण समस्या हो रही है.

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Published : Mar 29, 2023, 9:04 PM IST

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भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.

लखनऊ : भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में कोविड और एच3एन2 इनफ्लुएंजा को ध्यान में रखते हुए एक अलग वार्ड बनाया गया हैं. इस अस्पताल में 10 बेड का इमरजेंसी वार्ड भी है. इसके अलावा मंगलवार को वायरल बुखार से पीड़ित मरीजों के लिए 10 बेड आरक्षित किए गए हैं. ताकि गंभीर मरीजों को भर्ती करने में कोई समस्या न हो. हालांकि यहां पर सिर्फ वायरल बुखार से पीड़ित मरीजों को भर्ती किया जाएगा. अस्पताल में स्टाफ कर्मचारियों की कमी है और कई ओपीडी विशेषज्ञ के नहीं होने के कारण समस्या हो रही है.



बता दें, भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में दंत रोग विभाग तो है और यहां पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी तैनात हैं, लेकिन एक्स-रे मशीन नहीं होने के कारण मरीज का सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं हो सकता है. इसी तरह से अस्पताल में ईएनटी के भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. इस कारण मरीजों को फिजीशियन से काम चलाना पड़ता है. इसके अलावा कुछ महीने पहले ही रेडियोलॉजिस्ट रिटायर हुए थे. हालांकि डॉक्टर रिटायर्ड रेडियोलॉजिस्ट को दोबारा प्रतिनियुक्ति पर वापस लाया गया है.

भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.
भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.



ईटीवी भारत से बातचीत में अस्पताल पहुंचे मरीजों ने कहा कि अस्पताल में अधिक भीड़ नहीं होने के कारण यहां पर अच्छे से विशेषज्ञ से परामर्श ले पाते हैं. बाकी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा होती है. जिसके कारण हर एक मरीज पर डॉक्टर अधिक समय नहीं दे पाते हैं. यहां तक कि अल्ट्रासाउंड के लिए भी दो महीने की तारीख मिलती है, तब अल्ट्रासाउंड की नौबत आती हैं. हालांकि यहां पर यह स्थिति नहीं है. जिस दिन अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा जाता है. उसी दिन आसानी से अल्ट्रासाउंड भी हो जाता है और रिपोर्ट भी मिल जाती है. वहीं कुछ मरीजों ने बातचीत के दौरान कहा कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है. कुछ विभाग ऐसे हैं जहां पर विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं.

भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.
भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.



वार्ड में वेंटिलेटर हैं, लेकिन स्टाफ नहीं : बीआरडी अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में कोविड और इनफ्लुएंजा से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 10 बेड आरक्षित किए गए हैं. जिसमें से तीन बेड पर वेंटिलेटर उपलब्ध है, लेकिन हमारे पास स्टाफ नहीं है. क्योंकि वेंटिलेटर के लिए वेंटिलेटर ट्रेंड स्टाफ की आवश्यकता पड़ती है जो कि हमारे अस्पताल में नहीं है. अभी फिलहाल कोशिश की जा रही है कि अस्पताल को 100 बेड की मान्यता प्राप्त हो जाए शासन को इसके लिए पत्र भी भेजा गया है. जैसे ही यह 100 बेड का होगा तो यहां की जो समस्याएं हैं वह भी दूर हो जाएंगी.



बीआरडी अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरसी सिंह ने कहा कि यह अस्पताल पहले पीएचसी था. फिर उसके बाद सीएससी में परिवर्तित हुआ. अब जाकर इतना बड़ा अस्पताल महानगर क्षेत्र में मौजूद है जहां पर क्षेत्रीय लोग इलाज के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि 60 बेड का यह अस्पताल है. बहुत सारी चीजों की कमी है क्योंकि यह कोई बड़ा अस्पताल नहीं है. स्वास्थ्य विभाग में 100 बेड करने को लेकर पत्र भेजा गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. लिली सिंह ने भी शासन को पत्र भेजा गया है कि इसे 100 बेड का अस्पताल बनाया जाए ताकि जो बाकी व्यवस्थाएं भी है. वह भी मरीजों को उपलब्ध हो सके. उन्होंने कहा कि हमारे अस्पताल में बहुत सारी चीजें जो नहीं हो रही है वह इसलिए चुकी है, क्योंकि 60 बेड का अस्पताल है. जब यह अस्पताल 100 बेड का हो जाएगा तो अस्पताल में फैसिलिटी भी उसी हिसाब से हो जाएगी.

यह भी पढ़ें : जब सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, 'राजनेता खेल खेलना बंद कर देंगे, तो सब कुछ ...'

भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.

लखनऊ : भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में कोविड और एच3एन2 इनफ्लुएंजा को ध्यान में रखते हुए एक अलग वार्ड बनाया गया हैं. इस अस्पताल में 10 बेड का इमरजेंसी वार्ड भी है. इसके अलावा मंगलवार को वायरल बुखार से पीड़ित मरीजों के लिए 10 बेड आरक्षित किए गए हैं. ताकि गंभीर मरीजों को भर्ती करने में कोई समस्या न हो. हालांकि यहां पर सिर्फ वायरल बुखार से पीड़ित मरीजों को भर्ती किया जाएगा. अस्पताल में स्टाफ कर्मचारियों की कमी है और कई ओपीडी विशेषज्ञ के नहीं होने के कारण समस्या हो रही है.



बता दें, भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में दंत रोग विभाग तो है और यहां पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी तैनात हैं, लेकिन एक्स-रे मशीन नहीं होने के कारण मरीज का सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं हो सकता है. इसी तरह से अस्पताल में ईएनटी के भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. इस कारण मरीजों को फिजीशियन से काम चलाना पड़ता है. इसके अलावा कुछ महीने पहले ही रेडियोलॉजिस्ट रिटायर हुए थे. हालांकि डॉक्टर रिटायर्ड रेडियोलॉजिस्ट को दोबारा प्रतिनियुक्ति पर वापस लाया गया है.

भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.
भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.



ईटीवी भारत से बातचीत में अस्पताल पहुंचे मरीजों ने कहा कि अस्पताल में अधिक भीड़ नहीं होने के कारण यहां पर अच्छे से विशेषज्ञ से परामर्श ले पाते हैं. बाकी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा होती है. जिसके कारण हर एक मरीज पर डॉक्टर अधिक समय नहीं दे पाते हैं. यहां तक कि अल्ट्रासाउंड के लिए भी दो महीने की तारीख मिलती है, तब अल्ट्रासाउंड की नौबत आती हैं. हालांकि यहां पर यह स्थिति नहीं है. जिस दिन अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा जाता है. उसी दिन आसानी से अल्ट्रासाउंड भी हो जाता है और रिपोर्ट भी मिल जाती है. वहीं कुछ मरीजों ने बातचीत के दौरान कहा कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है. कुछ विभाग ऐसे हैं जहां पर विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं.

भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.
भाऊराव देवरस संयुक्त अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए स्टाफ नहीं, शासन से गुहार.



वार्ड में वेंटिलेटर हैं, लेकिन स्टाफ नहीं : बीआरडी अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में कोविड और इनफ्लुएंजा से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 10 बेड आरक्षित किए गए हैं. जिसमें से तीन बेड पर वेंटिलेटर उपलब्ध है, लेकिन हमारे पास स्टाफ नहीं है. क्योंकि वेंटिलेटर के लिए वेंटिलेटर ट्रेंड स्टाफ की आवश्यकता पड़ती है जो कि हमारे अस्पताल में नहीं है. अभी फिलहाल कोशिश की जा रही है कि अस्पताल को 100 बेड की मान्यता प्राप्त हो जाए शासन को इसके लिए पत्र भी भेजा गया है. जैसे ही यह 100 बेड का होगा तो यहां की जो समस्याएं हैं वह भी दूर हो जाएंगी.



बीआरडी अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरसी सिंह ने कहा कि यह अस्पताल पहले पीएचसी था. फिर उसके बाद सीएससी में परिवर्तित हुआ. अब जाकर इतना बड़ा अस्पताल महानगर क्षेत्र में मौजूद है जहां पर क्षेत्रीय लोग इलाज के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि 60 बेड का यह अस्पताल है. बहुत सारी चीजों की कमी है क्योंकि यह कोई बड़ा अस्पताल नहीं है. स्वास्थ्य विभाग में 100 बेड करने को लेकर पत्र भेजा गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. लिली सिंह ने भी शासन को पत्र भेजा गया है कि इसे 100 बेड का अस्पताल बनाया जाए ताकि जो बाकी व्यवस्थाएं भी है. वह भी मरीजों को उपलब्ध हो सके. उन्होंने कहा कि हमारे अस्पताल में बहुत सारी चीजें जो नहीं हो रही है वह इसलिए चुकी है, क्योंकि 60 बेड का अस्पताल है. जब यह अस्पताल 100 बेड का हो जाएगा तो अस्पताल में फैसिलिटी भी उसी हिसाब से हो जाएगी.

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