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यूपी के जिला अस्पतालों में नहीं हैं गैस्ट्रो के डॉक्टर, केजीएमयू में उमड़ रही मरीजों की भीड़ - गैस्ट्रोलॉजी विभाग

उत्तर प्रदेश के जिला अस्पतालों में गैस्ट्रोलॉजी विभाग नहीं होने के कारण किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लोहिया और पीजीआई में काफी भीड़ होती है. किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में रोजाना करीब 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं.

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Published : Jul 8, 2023, 5:16 PM IST

केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज. देखें खबर



लखनऊ : यूपी के जिला अस्पतालों में गैस्ट्रोलॉजी विभाग नहीं होने के कारण किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लोहिया और पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में काफी मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. केजीएमयू में प्रदेशभर से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. गैस्ट्रोलॉजी विभाग में इतनी भीड़ होती है कि कई बार मरीजों के बीच हाथापाई हो जाती हैं. ईटीवी भारत से मरीजों ने बताया कि भले ही यहां पर भीड़ ओपीडी में ज्यादा होती है, लेकिन विशेषज्ञ अच्छे होने से इलाज अच्छा होता है.

पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.




कानपुर से इलाज कराने के लिए केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में आए मरीज ने बताया कि वह पहली बार केजीएमयू में इलाज के लिए आए हैं.जिस तरह से ओपीडी में भीड़ रहती है उसके बाद जब विशेषज्ञ से मिलते हैं तो इलाज को लेकर पूरी संतुष्टि रहती है. यहां के विशेषज्ञ च्छे से बात करते हैं और अच्छे से डायग्नोज करके सर्जरी की सलाह देते हैं. एक अन्य मरीज ने कहा कि ओपीडी में भारी भीड़ होती है क्योंकि बाकी छोटे अस्पतालों में पेट से संबंधित विशेषज्ञ नहीं हैं. जिस कारण केजीएमयू आना पड़ता है. मरीजों ने कहा कि यहां के डॉक्टरों का व्यवहार बहुत अच्छा है. कर्मचारी भी पूरा सहयोग करते हैं. प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं इसलिए यहां पर काफी भीड़ होती है.

पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.



गैस्ट्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ. सुमित रोंगटा ने बताया कि प्रदेशभर से केजीएमयू की गैस्ट्रोलॉजी विभाग में मरीज इलाज के लिए आते हैं. रोजाना करीब 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिसमें नए पुराने दोनों मरीज होते हैं. पेट की बीमारी से संबंधित विभाग में हर तरह के मरीज आते हैं. पूरी कोशिश यह होती है कि जो भी मरीज विभाग में इलाज के लिए आता है फिर चाहे वह लखनऊ का हो या प्रदेश के अन्य जिले का हो उसे बेहतर चिकित्सक सलाह मिले उसका इलाज अच्छे से हो जाए. यही प्राथमिकता होती है.

केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.
केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.
केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.
केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.



गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों की सामान्य स्थितियों में गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), सूजन आंत्र रोग (आईबीडी), चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस), यकृत रोग, अग्नाशयी रोग और पित्ताशय की थैली रोग शामिल हैं. स्थिति की गंभीरता और प्रकृति के आधार पर उपचार के विकल्पों में जीवन शैली में बदलाव, दवा, एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं या सर्जरी शामिल होती हैं. मरीजों के इलाज के अलावा, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट निवारक देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि पेट के कैंसर और अन्य पाचन तंत्र के कैंसर की जांच.



यह भी पढ़ें : Sidhi Urination Case: CM शिवराज ने आदिवासी युवक के पैर धोकर मांगी माफी, दशमत को बताया सुदामा

केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज. देखें खबर



लखनऊ : यूपी के जिला अस्पतालों में गैस्ट्रोलॉजी विभाग नहीं होने के कारण किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लोहिया और पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में काफी मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. केजीएमयू में प्रदेशभर से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. गैस्ट्रोलॉजी विभाग में इतनी भीड़ होती है कि कई बार मरीजों के बीच हाथापाई हो जाती हैं. ईटीवी भारत से मरीजों ने बताया कि भले ही यहां पर भीड़ ओपीडी में ज्यादा होती है, लेकिन विशेषज्ञ अच्छे होने से इलाज अच्छा होता है.

पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.




कानपुर से इलाज कराने के लिए केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में आए मरीज ने बताया कि वह पहली बार केजीएमयू में इलाज के लिए आए हैं.जिस तरह से ओपीडी में भीड़ रहती है उसके बाद जब विशेषज्ञ से मिलते हैं तो इलाज को लेकर पूरी संतुष्टि रहती है. यहां के विशेषज्ञ च्छे से बात करते हैं और अच्छे से डायग्नोज करके सर्जरी की सलाह देते हैं. एक अन्य मरीज ने कहा कि ओपीडी में भारी भीड़ होती है क्योंकि बाकी छोटे अस्पतालों में पेट से संबंधित विशेषज्ञ नहीं हैं. जिस कारण केजीएमयू आना पड़ता है. मरीजों ने कहा कि यहां के डॉक्टरों का व्यवहार बहुत अच्छा है. कर्मचारी भी पूरा सहयोग करते हैं. प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं इसलिए यहां पर काफी भीड़ होती है.

पेट के रोगों की करें पहचान.
पेट के रोगों की करें पहचान.



गैस्ट्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ. सुमित रोंगटा ने बताया कि प्रदेशभर से केजीएमयू की गैस्ट्रोलॉजी विभाग में मरीज इलाज के लिए आते हैं. रोजाना करीब 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिसमें नए पुराने दोनों मरीज होते हैं. पेट की बीमारी से संबंधित विभाग में हर तरह के मरीज आते हैं. पूरी कोशिश यह होती है कि जो भी मरीज विभाग में इलाज के लिए आता है फिर चाहे वह लखनऊ का हो या प्रदेश के अन्य जिले का हो उसे बेहतर चिकित्सक सलाह मिले उसका इलाज अच्छे से हो जाए. यही प्राथमिकता होती है.

केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.
केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.
केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.
केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में उमड़ रहे मरीज.



गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों की सामान्य स्थितियों में गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), सूजन आंत्र रोग (आईबीडी), चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस), यकृत रोग, अग्नाशयी रोग और पित्ताशय की थैली रोग शामिल हैं. स्थिति की गंभीरता और प्रकृति के आधार पर उपचार के विकल्पों में जीवन शैली में बदलाव, दवा, एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं या सर्जरी शामिल होती हैं. मरीजों के इलाज के अलावा, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट निवारक देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि पेट के कैंसर और अन्य पाचन तंत्र के कैंसर की जांच.



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