लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लेवाना होटल में सोमवार को भीषण आग लग गई. इस अग्निकांड में 4 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में होटल मालिक अग्रवाल बंधुओं व जीएम के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है. वहीं, एलडीए ने बिल्डर बंसल कंस्ट्रक्शन के खिकाफ भी एफआईआर दर्ज कराई है. हजरतगंज कोतवाली में लेवाना ग्रुप के डायरेक्टर रोहित अग्रवाल, राहुल अग्रवाल व होटल के जनरल मैनेजर सागर श्रीवास्तव के खिलाफ लापरवाही व गैर इरादतन हत्या की धारा 304 व 308 IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. वहीं, लखनऊ पुलिस ने मंगलवार को होटल मालिक राहुल अग्रवाल और रोहित अग्रवाल के साथ महा प्रबंधक सागर श्रीवास्तव गिरफ्तार कर लिया. जेल भेजने से पहले होटल मालिकों सहित चारों का मेडिकल कराया गया.
कोर्ट में पेशी के बाद लेवाना होटल के मालिक रोहित अग्रवाल, राहुल अग्रवाल और GM सागर श्रीवास्तव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भी इस मामले में मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि मुकेश जसनानी और उनके साझेदारों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है. प्रकरण की प्रारंभिक जांच में एलडीए ने पाया है कि बिल्डर ने प्राधिकरण में फर्जी शपथ पत्र देकर आवासीय भूखंड में व्यावसायिक निर्माण कराया था. इसके आधार पर प्राधिकरण की तरफ से मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि मुकेश जसनानी और उनके साझेदारों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
फायर ब्रिगेड की विशेष टीम लेवाना होटल पहुंची
होटल लेवाना शूट में अग्निकांड के एक दिन बाद फायर विभाग की विशेष टीम होटल पहुंची. ये टीम उन कारणों का पता लगाएगी कि आखिरकार होटल में आग कैसे लगी और होटल में उस आग पर काबू पाने के लिए कौन-कौन से उपकरण मौके पर मौजूद नहीं थे. इस टीम को लखनऊ के चीफ फायर ऑफीसर विजय कुमार सिंह लीड कर रहे हैं. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित जांच कमेटी के सदस्य लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर भी होटल पहुंचे हैं.
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होटल लेवाना से जुड़े कुछ तथ्य
वर्ष 1984 में पहली बार होटल लेवाना की जगह पर मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन के ऑफिस का नक्शा पास हुआ था. वर्ष 1986 में बंसल कंस्ट्रक्शन का नक्शा निरस्त हुआ और इसके पीछे की वजह की जांच की जा रही है. प्राधिकरण ने वर्ष 1996 में इस शर्त के साथ एक बार फिर नक्शा पास किया कि इसे आवासीय में कन्वर्ट कर लेंगे. वर्ष 1996 के बाद की कोई फाइल लखनऊ विकास प्राधिकरण को अब तक नहीं मिली. अधिकारी इसकी जांच कर रहे है.