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Lucknow KGMU : केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के एक डॉक्टर अनुशासनहीनता में बर्खास्त

केजीएमयू के एक चिकित्सक (Lucknow KGMU) को अनुशासनहीनता करने पर बर्खास्त कर दिया गया है. इस मामले को लेकर नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष ने कुलपति को पत्र लिखा था.

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Published : Jan 21, 2023, 11:08 AM IST

लखनऊ : केजीएमयू नेत्र रोग विभाग के एक डॉक्टर को अनुशासनहीनता में बर्खास्त कर दिया गया है. जांच कमेटी की सिफारिश के आधार पर कार्य परिषद ने डॉक्टर की बर्खास्तगी पर अंतिम मुहर लगा दी है. इससे पहले पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर को बर्खास्त किया जा चुका है.

केजीएमयू में कुलपति डॉ. बिपिन पुरी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कार्यपरिषद की बैठक हुई. बैठक में नेत्र रोग विभाग के एक डॉक्टर का मामला रखा गया. नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर का मामला करीब एक साल से चल रहा है. पांच जनवरी 2022 को नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अपजीत कौर ने कुलपति को पत्र लिखा था. शिकायत में कहा गया था कि 30 दिसंबर 2021 को कुलपति कार्यालय में हुई बैठक में डॉक्टर के कामकाज व मरीजों के इलाज पर चर्चा हो रही थी. इस दौरान आरोपी डॉक्टर ने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया. लिहाजा 18 फरवरी को कार्यपरिषद की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें डॉक्टर को आरोप पत्र देकर निलंबित कर दिया गया. आरोपी डॉक्टर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने डॉक्टर को राहत दी. निलंबन को गलत ठहराया. इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने उन्हें ज्वाइन कराया. कुछ ही समय बाद दोबारा निलंबित कर दिया. इस मामले में कमेटी ने भी जांच की थी.

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि "अनुशासनहीनता समेत दूसरे मामलों की जांच कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की सिफारिश में उन्हें निलंबित किया गया था. बाद में डीन ऑफिस से अटैच किया गया था. वह दोबारा संस्थान में नौकरी करने नहीं आए, इसलिए कार्यपरिषद ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है. दोबारा ड्यूटी ज्वॉइन न करना भी अनुशासनहीनता ही होती है.



दूसरे जिले में भेजा जा रहा सामान : डीआरडीओ का अस्थायी कोविड अस्पताल का सामान दूसरे जिलों में भेजने की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई. लाखों रुपये के वेंटिलेटर प्रदेश के चार जिलों में भेजे गए हैं. अब इन जिलों में गंभीर मरीजों की जान बचाने में वेंटिलेटर का इस्तेमाल होगा. कोविड की दूसरी लहर में डीआरडीओ ने अस्थायी अस्पताल बनाया था. कोरोना मरीजों के लिए 500 बेड के इंतजाम किए गए थे. अब कोरोना संक्रमण का प्रकोप लगभग थम गया है. करीब डेढ़ साल से डीआरडीओ का अस्थायी कोविड अस्पताल बंद है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने डीआरडीओ के अस्थायी कोविड अस्पताल के सामान का इस्तेमाल दूसरे मरीजों के इलाज में करने का फैसला किया गया है. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि "कई जिलों में वेंटिलेटर भेजे गए हैं. इसमें प्रतापगढ़, अयोध्या, रायबरेली और बहराइच शामिल हैं." उन्होंने बताया कि "147 वेंटिलेटर जिलों में भेजे गए हैं. इसके अलावा जनरल व आईसीयू बेड भी जिला अस्पतालों को भेजा गया है. इसमें अलावा मॉनीटर समेत दूसरे उपकरण शामिल हैं."

मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज : जिलों में वेंटिलेटर, आईसीयू बेड व दूसरे उपकरण भेजने से मरीजों को बेहतर इलाज मिलने की राह आसान हुई है. अधिकारियों का कहना है कि आठ से 10 लाख रुपये की कीमत एक वेंटिलेटर की है."

यह भी पढ़ें : Interview Andra Vamsi : कौशल विकास मिशन के तहत अब कई नए क्षेत्रों में भी दिया जा रहा रोजगारपरक प्रशिक्षण

लखनऊ : केजीएमयू नेत्र रोग विभाग के एक डॉक्टर को अनुशासनहीनता में बर्खास्त कर दिया गया है. जांच कमेटी की सिफारिश के आधार पर कार्य परिषद ने डॉक्टर की बर्खास्तगी पर अंतिम मुहर लगा दी है. इससे पहले पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर को बर्खास्त किया जा चुका है.

केजीएमयू में कुलपति डॉ. बिपिन पुरी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कार्यपरिषद की बैठक हुई. बैठक में नेत्र रोग विभाग के एक डॉक्टर का मामला रखा गया. नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर का मामला करीब एक साल से चल रहा है. पांच जनवरी 2022 को नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अपजीत कौर ने कुलपति को पत्र लिखा था. शिकायत में कहा गया था कि 30 दिसंबर 2021 को कुलपति कार्यालय में हुई बैठक में डॉक्टर के कामकाज व मरीजों के इलाज पर चर्चा हो रही थी. इस दौरान आरोपी डॉक्टर ने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया. लिहाजा 18 फरवरी को कार्यपरिषद की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें डॉक्टर को आरोप पत्र देकर निलंबित कर दिया गया. आरोपी डॉक्टर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने डॉक्टर को राहत दी. निलंबन को गलत ठहराया. इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने उन्हें ज्वाइन कराया. कुछ ही समय बाद दोबारा निलंबित कर दिया. इस मामले में कमेटी ने भी जांच की थी.

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि "अनुशासनहीनता समेत दूसरे मामलों की जांच कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की सिफारिश में उन्हें निलंबित किया गया था. बाद में डीन ऑफिस से अटैच किया गया था. वह दोबारा संस्थान में नौकरी करने नहीं आए, इसलिए कार्यपरिषद ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है. दोबारा ड्यूटी ज्वॉइन न करना भी अनुशासनहीनता ही होती है.



दूसरे जिले में भेजा जा रहा सामान : डीआरडीओ का अस्थायी कोविड अस्पताल का सामान दूसरे जिलों में भेजने की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई. लाखों रुपये के वेंटिलेटर प्रदेश के चार जिलों में भेजे गए हैं. अब इन जिलों में गंभीर मरीजों की जान बचाने में वेंटिलेटर का इस्तेमाल होगा. कोविड की दूसरी लहर में डीआरडीओ ने अस्थायी अस्पताल बनाया था. कोरोना मरीजों के लिए 500 बेड के इंतजाम किए गए थे. अब कोरोना संक्रमण का प्रकोप लगभग थम गया है. करीब डेढ़ साल से डीआरडीओ का अस्थायी कोविड अस्पताल बंद है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने डीआरडीओ के अस्थायी कोविड अस्पताल के सामान का इस्तेमाल दूसरे मरीजों के इलाज में करने का फैसला किया गया है. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि "कई जिलों में वेंटिलेटर भेजे गए हैं. इसमें प्रतापगढ़, अयोध्या, रायबरेली और बहराइच शामिल हैं." उन्होंने बताया कि "147 वेंटिलेटर जिलों में भेजे गए हैं. इसके अलावा जनरल व आईसीयू बेड भी जिला अस्पतालों को भेजा गया है. इसमें अलावा मॉनीटर समेत दूसरे उपकरण शामिल हैं."

मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज : जिलों में वेंटिलेटर, आईसीयू बेड व दूसरे उपकरण भेजने से मरीजों को बेहतर इलाज मिलने की राह आसान हुई है. अधिकारियों का कहना है कि आठ से 10 लाख रुपये की कीमत एक वेंटिलेटर की है."

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