लखनऊ : योग में ऐसी शक्ति है जिसे करने से व्यक्ति किसी भी बीमारी से पीड़ित हो वह उभर सकता है. जो व्यक्ति योग करते हैं वह शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से स्वस्थ रहते हैं. यह बातें किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के इंडोक्राइन सर्जरी और थोरेसिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सर्जन प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहीं. विभाग में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं आती रहती हैं और उन्हीं महिलाओं के ऊपर स्टडी की गई है. स्तन कैंसर का मुख्य ट्रीटमेंट तीन तरह से होता है जिसमें सर्जरी, रेडियोथैरेपी और कीमोथेरेपी शामिल हैं. इन सभी ट्रीटमेंट के अपने अलग-अलग कॉन्प्लिकेशनस और साइड इफेक्ट्स है योग का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है.
विभाग में स्तन कैंसर से पीड़ित बहुत सारी महिलाएं आती हैं जो स्टेज-2 और 3 में इलाज के लिए पहुंचती हैं. दरअसल इन महिलाओं को शुरुआत में कुछ समझ में नहीं आता है और जब अधिक समस्या होती है उस समय पर डायग्नोस होता है. यह तो नहीं कह सकते कि योग कैंसर को समाप्त कर सकता है, लेकिन कैंसर से पीड़ित मरीजों को स्वस्थ जरूर रख सकता है. बीमारी कोई भी हो जरूरी है कि मरीज की इम्यूनिटी मजबूत हो और वह बीमारी से लड़ने योग्य हो. इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए योग सबसे आसान उपाय है. अहम बात यह है कि योग का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है. ऐसी बीमारी जो मानसिक तौर पर मरीज को दिक्कत करती है. बीमारी होने के बाद मरीज सोचता रहता है और वह अधिक बीमार होता जाता है. योग करने से न सिर्फ मरीज की इम्युनिटी मजबूत होगी, बल्कि उस मरीज में बीमारी से लड़ने के लिए एक पॉजिटिव सोच भी आएंगी.
अध्ययन में स्तन कैंसर के दूसरे और तीसरे स्टेज वाले 96 मरीजों को पंजीकृत किया गया. इसके पहले समूह में दवाओं के साथ योग नहीं करने वाले मरीजों को रखा गया जबकि दूसरे समूह में उन्हीं दवाओं के साथ योग करने वाले मरीजों को रखा गया. दोनों समूह के मरीजों को 48 सप्ताह तक निगरानी में रखा गया. इसके लिए 16, 32 और 48 सप्ताह के अंतराल पर सभी 96 रोगियों के खून के सैंपल लिए गए. इनके परिणाम में देखा गया कि योग करने वाले सभी रोगियों में थकान का स्तर तो कम हुआ ही था. साथ ही कैंसर वाले कारक भी कम हुए. इससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर हुई. रिपोर्ट में दावा किया गया कि योग को कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए सहयोगी चिकित्सा प्रणाली के रूप में अपनाया जा सकता है.
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