लखनऊ : भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय इन दिनों खुद वेंटीलेटर पर है. यहां आने वाले मरीजों को इलाज मिलने में अड़चन आ रही है. इसकी वजह यह है कि तीन इमरजेंसी मेडिकल अफसर में दो मेडिकल अफसर छुट्टी पर चली गई हैं. ऐसे में इमरजेंसी का संचालन किसी तरह किया जा रहा है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इमरजेंसी का संचालन किया जा रहा है.
भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय 100 बेड का अस्पताल है. यहां पर करीब 15 डॉक्टर तैनात हैं. इमरजेंसी में हर दिन करीब आठ से 10 नए मरीज भर्ती हो रहे हैं. हालांकि इमरजेंसी मेडिकल अफसर का यहां पर संकट खड़ा हो गया है. तीन ईएमओ में से दो महिला ईएमओ चाइल्ड केयर लीव पर चली गई है. ऐसे में इमरजेंसी संचालन के लिए दूसरे विशेषज्ञों की ड्यूटी लगाई जा रही है. विशेषज्ञ इमरजेंसी ड्यूटी करने बाद ओपीडी नहीं कर पा रहे हैं या दूसरे दिन अवकाश ले रहे हैं. ऐसे में मरीजों का इलाज बाधित हो रहा है. अस्पताल सीएमएस डॉ. आरसी सिंह के मुताबिक इमरजेंसी का संचालन बाधित न हो इसके लिए अस्पताल के दूसरे विशेषज्ञों की ड्यूटी लगाई जा रही हैं.
कर्मचारियों का अस्पताल प्रशासन ने काटा वेतन : सिक्योरिटी गार्डों को काट-पीट कर वेतन दिया जाता है. दीपावली और होली का बोनस भी हक से छीन लिया गया है. केजीएमयू में करीब 5500 सिक्योरिटी गार्ड कार्यरत हैं. जिन्हें दीपावली में बोनस नहीं मिला था. होली में मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक बोनस नहीं आया है. केजीएमयू में केके मैनपॉवर, अरुणोदय सिक्योरिटी एजेंसी, स्पार्टा सिक्योरिटी एजेंसी ठेके पर कर्मचारियों की आपूर्ति करती है. करीब 14 वर्ष से केजीएमयू में सेवा कर रहे सिक्योरिटी गार्ड एसई तिवारी का कहना है दीवाली पर बोनस नहीं मिला था, लेकिन होली पर उम्मीद थी, लेकिन अब तक नहीं मिला. ज्यादा कुछ कहने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है. यहां किसी भी अधिकारी से कहने का कोई फायदा नहीं है. कर्मचारियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.
लोहिया कर्मचारियों ने लिखा पत्र : डॉ. राममनोहर लोहिया संस्थान के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने होली पर बोनस देने के लिए बीते सप्ताह निदेशक सोनिया नित्यानंद को लिखित पत्र सौंपा है और दीवाली पर बोनस न आने की शिकायत करते हुए होली पर बोनस देने की बात कही है.
अस्पताल में सारी व्यवस्था अव्यवस्थित : महानगर स्थित भाऊराव देवरस अस्पताल में बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण नहीं हो रहा है. अस्पताल परिसर में जगह-जगह बायोमेडिकल वेस्ट बिखरा पड़ा है. इस्तेमाल वॉयल, सिरिंज, खून से सनी रूई-पट्टी व खून आदि फर्श पर बिखरा रहता है. ऐसे में मरीज व तीमारदारों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. डॉक्टर व कर्मचारी भी संक्रमण की जद में आ सकते हैं. यहां ओपीडी में रोजाना 1500 से अधिक मरीज आते हैं. मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए अस्पताल में नियमों का पालन नहीं हो रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि सिरिंज व दूसरे अस्पताली कचरे का नियमानुसार निस्तारण होना चाहिए. इसमें चूक से दूसरे लोग संक्रमण की जद में आ चुके हैं. हेपेटाइटिस, एचआईवी जैसे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है.
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