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लखनऊ: हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, मो. शोएब के गिरफ्तारी का वक्त और जगह बताए सरकार

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अधिवक्ता मो. शोएब की गिरफ्तारी का ठीक-ठीक समय और स्थान बताते हुए हलफनामा दाखिल किया जाए. न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्हें पेश करने के सम्बंध में भी ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.

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लखनऊ हाईकोर्ट.
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Published : Jan 7, 2020, 12:03 AM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अधिवक्ता मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी का ठीक-ठीक समय और स्थान बताते हुए हलफनामा दाखिल किया जाए. न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्हें पेश करने के सम्बंध में भी ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने मोहम्मद शोएब द्वारा मित्र गौरव कुमार कश्यप की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी गैर कानूनी है. पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार करने के लिए जो समय व स्थान बताया जा रहा है, वह गलत है.


यही नहीं पिछली सुनवाई के दौरान याची की ओर से यह भी आरोप लगाया गया था कि उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए बिना ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. न्यायालय ने इस सम्बंध में सरकारी वकील से पूछा तो विस्तृत जानकारी के अभाव में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.

पढे़ं- CAA को लेकर बोले वसीम रिजवी, कहा- सियासी पार्टियां बिगाड़ना चाहती हैं देश का माहौल


हालांकि सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से रिकॉर्ड पेश कर बताया गया कि याची को जेल भेजे जाने से पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रतुत किया गया था. सरकारी वकील ने यह भी दलील दी कि मामले से सम्बंधित कई अन्य अभियुक्तों की जमानत मंजूर की जा चुकी है, लेकिन याची ने मामले को संवेदनशील बनाने के लिए जमानत अर्जी न दाखिल करके, इस कोर्ट में याचिका दाखिल की है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात मामले को एक सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. बता दें कि सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने के आरोप में मो. शोएब की गिरफ्तारी हुई है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अधिवक्ता मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी का ठीक-ठीक समय और स्थान बताते हुए हलफनामा दाखिल किया जाए. न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्हें पेश करने के सम्बंध में भी ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने मोहम्मद शोएब द्वारा मित्र गौरव कुमार कश्यप की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी गैर कानूनी है. पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार करने के लिए जो समय व स्थान बताया जा रहा है, वह गलत है.


यही नहीं पिछली सुनवाई के दौरान याची की ओर से यह भी आरोप लगाया गया था कि उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए बिना ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. न्यायालय ने इस सम्बंध में सरकारी वकील से पूछा तो विस्तृत जानकारी के अभाव में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.

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हालांकि सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से रिकॉर्ड पेश कर बताया गया कि याची को जेल भेजे जाने से पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रतुत किया गया था. सरकारी वकील ने यह भी दलील दी कि मामले से सम्बंधित कई अन्य अभियुक्तों की जमानत मंजूर की जा चुकी है, लेकिन याची ने मामले को संवेदनशील बनाने के लिए जमानत अर्जी न दाखिल करके, इस कोर्ट में याचिका दाखिल की है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात मामले को एक सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. बता दें कि सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने के आरोप में मो. शोएब की गिरफ्तारी हुई है.

अधिवक्ता मो. शोएब की गिरफ्तारी का ठीक-ठीक समय और स्थान बताएं
हाईकोर्ट ने दिये आदेश
सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने के आरोप में हुई है गिरफ्तारी
विधि संवाददाता
लखनऊ
। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अधिवक्ता मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी का ठीक-ठीक समय और स्थान बताते हुए, हलफनामा दाखिल किया जाए। न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्हें पेश करने के सम्बंध में भी ब्यौरा देने का निर्देश दिया है।
    यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने मोहम्मद शोएब द्वारा मित्र गौरव कुमार कश्यप की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी गैर कानूनी है। पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार करने के लिए जो समय व स्थान बताया जा रहा है, वह गलत है। यही नहीं पिछली सुनवाई के दौरान याची की ओर से यह भी आरोप लगाया गया था कि उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किये बिना ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। न्यायालय ने इस सम्बंध में सरकारी वकील से पूछा तो विस्तृत जानकारी के आभाव में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। हालांकि सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से रिकॉर्ड पेश कर बताया गया कि याची को जेल भेजे जाने से पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रतुत किया गया था। सरकारी वकील ने यह भी दलील दी कि मामले से सम्बंधित कई अन्य अभियुक्तों की जमानत मंजूर की जा चुकी है लेकिन याची ने मामले को संवेदनशील बनाने के लिए जमानत अर्जी न दाखिल कर के, इस कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
   न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात मामले को एक सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।   
 


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Chandan Srivastava
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