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22 साल बाद मिला इंसाफ, हत्या के मामले में दोषी को आजीवन कारावास

राजधानी लखनऊ में हत्या के एक मामले में 22 साल बाद कोर्ट से इंसाफ मिला. धान चोरी और हत्या के आरोप में 1997 में दर्ज एक केस में कोर्ट ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

Lucknow district court
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Published : Jan 21, 2021, 8:29 AM IST

लखनऊ: विशेष जज जगन्नाथ मिश्र ने चोरी और हत्या के एक मामले में अभियुक्त राम नारायण पासी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने इसी मामले में सिर्फ चोरी के लिए दोषी करार दिए गए अभियुक्त बिल्लू यादव को डेढ़ साल कारावास के साथ पांच हजार रुपये की सजा सुनाई.

22 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

विशेष लोक अभियोजनक सत्यव्रत त्रिपाठी के मुताबिक 20 अक्टूबर 1997 को इस मामले की एफआईआर मृतक के पोते राकेश कुमार ने थाना गोसाईगंज में दर्ज कराई थी. उस रात अभियुक्तगण उनका धान चोरी से पीट रहे थे और बोरी में रख रहे थे. वादी और उसके बाबा दुर्जन दास गांव के कुछ लोगों के साथ टार्च की रोशनी में इन्हें देखा, तो भागने लगे. बाबा ने कहा भागने की जरुरत नहीं है, पहचान लिए गए हो. इस पर पीछे से अभियुक्त राम नारायण ने कट्टे से गोली मारकर बाबा की हत्या कर दी. बचाव पक्ष ने दलील दी कि घटना रात के अंधेरे में हुई है, इसलिए अभियुक्तों की पहचान गवाहों द्वारा किया जाना संदिग्ध है. इसके अलावा गवाहों के बयानों में विरोधाभाष है. हालांकि, कोर्ट ने गवाहों के बयानों पर गौर करने के उपरांत अपने निर्णय में कहा कि अभियुक्तों की स्पष्ट पहचान टॉर्च की रोशनी में की गई थी. इसके साथ ही गवाहों के बयानों में अभियुक्तों की पहचान को लेकर कोई विरोधाभाष नहीं है. कोर्ट ने अभियुक्तों की आर्थिक स्थिति के बचाव पक्ष के दलील पर कहा कि अभियुक्तों का अपराध जघन्य है और वे दया के पात्र नहीं हैं.

लखनऊ: विशेष जज जगन्नाथ मिश्र ने चोरी और हत्या के एक मामले में अभियुक्त राम नारायण पासी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने इसी मामले में सिर्फ चोरी के लिए दोषी करार दिए गए अभियुक्त बिल्लू यादव को डेढ़ साल कारावास के साथ पांच हजार रुपये की सजा सुनाई.

22 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

विशेष लोक अभियोजनक सत्यव्रत त्रिपाठी के मुताबिक 20 अक्टूबर 1997 को इस मामले की एफआईआर मृतक के पोते राकेश कुमार ने थाना गोसाईगंज में दर्ज कराई थी. उस रात अभियुक्तगण उनका धान चोरी से पीट रहे थे और बोरी में रख रहे थे. वादी और उसके बाबा दुर्जन दास गांव के कुछ लोगों के साथ टार्च की रोशनी में इन्हें देखा, तो भागने लगे. बाबा ने कहा भागने की जरुरत नहीं है, पहचान लिए गए हो. इस पर पीछे से अभियुक्त राम नारायण ने कट्टे से गोली मारकर बाबा की हत्या कर दी. बचाव पक्ष ने दलील दी कि घटना रात के अंधेरे में हुई है, इसलिए अभियुक्तों की पहचान गवाहों द्वारा किया जाना संदिग्ध है. इसके अलावा गवाहों के बयानों में विरोधाभाष है. हालांकि, कोर्ट ने गवाहों के बयानों पर गौर करने के उपरांत अपने निर्णय में कहा कि अभियुक्तों की स्पष्ट पहचान टॉर्च की रोशनी में की गई थी. इसके साथ ही गवाहों के बयानों में अभियुक्तों की पहचान को लेकर कोई विरोधाभाष नहीं है. कोर्ट ने अभियुक्तों की आर्थिक स्थिति के बचाव पक्ष के दलील पर कहा कि अभियुक्तों का अपराध जघन्य है और वे दया के पात्र नहीं हैं.

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