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बाप ने नाबालिग बेटी पर डाली थी बुरी नजर, अब जेल में गुजरेगी बाकी उम्र - पिता को आजीवन कारावास

राजधानी लखनऊ के पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत ने एक पिता को नाबालिग बेटी के साथ दुराचार करने के मामले में दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दोषी पिता को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 66 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

लखनऊ कोर्ट
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Published : Feb 16, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 10:51 PM IST

लखनऊ : पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत ने अपनी ही नाबालिग बेटी से दुराचार करने वाले अभियुक्त पिता को दोषी करार दिया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर 66 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. आदेश पारित करने वाले विशेष जज डॉ. अवनीश कुमार ने अपने आदेश में कहा कि यदि कोई पुत्री अपने घर में अपने पिता से ही सुरक्षित नहीं रहेगी, तो समाज में बच्चों का यौन शोषण रोकना अत्यन्त कठिन हो जाएगा. ऐसा अपराध न सिर्फ गम्भीर है बल्कि घोर अनैतिक व समाज की मनोभावना के विपरीत भी है. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त का अपराध इतना घृणित है कि उसके लिए उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता.

30 मई 2018 को कराई गई थी एफआईआर

सरकारी वकील पंकज कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक 30 मई 2018 को इस मामले की एफआईआर पीड़िता की मां ने थाना जानकीपुरम में दर्ज कराई थी. अभियुक्त ने अपनी 11 साल की बेटी के साथ पहले भी दुराचार किया था. पीड़िता की मां का कहना था कि पहली बार घर की इज्जत छिपाने के चलते वह पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी, लेकिन दोबारा जब अभियुक्त ने यही कृत्य किया तो उसके पास एफआईआर दर्ज कराने के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं था.

पढ़ें - लखनऊ को बम धमाकों से दहलाने की साजिश नाकाम, 2 गिरफ्तार

लखनऊ : पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत ने अपनी ही नाबालिग बेटी से दुराचार करने वाले अभियुक्त पिता को दोषी करार दिया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर 66 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. आदेश पारित करने वाले विशेष जज डॉ. अवनीश कुमार ने अपने आदेश में कहा कि यदि कोई पुत्री अपने घर में अपने पिता से ही सुरक्षित नहीं रहेगी, तो समाज में बच्चों का यौन शोषण रोकना अत्यन्त कठिन हो जाएगा. ऐसा अपराध न सिर्फ गम्भीर है बल्कि घोर अनैतिक व समाज की मनोभावना के विपरीत भी है. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त का अपराध इतना घृणित है कि उसके लिए उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता.

30 मई 2018 को कराई गई थी एफआईआर

सरकारी वकील पंकज कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक 30 मई 2018 को इस मामले की एफआईआर पीड़िता की मां ने थाना जानकीपुरम में दर्ज कराई थी. अभियुक्त ने अपनी 11 साल की बेटी के साथ पहले भी दुराचार किया था. पीड़िता की मां का कहना था कि पहली बार घर की इज्जत छिपाने के चलते वह पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी, लेकिन दोबारा जब अभियुक्त ने यही कृत्य किया तो उसके पास एफआईआर दर्ज कराने के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं था.

पढ़ें - लखनऊ को बम धमाकों से दहलाने की साजिश नाकाम, 2 गिरफ्तार

Last Updated : Feb 16, 2021, 10:51 PM IST
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