लखनऊ : रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के लिए कुकरेल नदी के किनारे भीकमपुर बस्ती को हटाने की चेतावनी देने के लिए प्रशासननिक अमला मंगलवार को जब यहां पहुंचा तो स्थानीय नागरिकों के साथ जमकर बदसलूकी की बात सामने आई. बिना महिला पुलिस की मौजूदगी में पहुंचे प्रसानिक और पुलिस दस्ते ने महिलाओं से जोर जबरदस्ती की और अभद्र भाषा में लोगों से तत्काल यहां से हटाने का अल्टीमेटम दिया. बस्ती के लोगों का सामान यहां से हटाने के लिए प्रशासनिक दस्ता अपने साथ कूड़ा गाड़ियां भी लाया था.
लोगों ने कहा-बस्ती अवैध नहीं : भीकमपुर बस्ती में पहुंचे लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना था कि कुकरेल रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिए कुल 1400 निर्माण को धराशायी किया जाना है. जिसके लिए हमने डिमोलिशन ऑर्डर पास कर दिए हैं. सभी को दो दिन का समय दिया गया है और 7 दिसंबर को बुलडोजर चला दिया जाएगा. इन सारी बातों को लेकर भड़के लोगों ने बस्ती में पहुंचे अधिकारियों के सामने जमकर हंगामा किया. लोगों का कहना है कि यह अवैध बस्ती नहीं भीकमपुर गांव है. यहां कई वर्षों से लोग रहते हैं और अब सरकार तत्काल जगह खाली करने की बात कह रही है. लोगों ने अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. लोगों का आरोप है कि उनको धमकाया जा रहा है. बिजली काट दी गई है. बच्चों तक को भी धमकाया जा रहा है.
लाउडस्पीकर से दी चेतावनी : लखनऊ विकास प्राधिकरण नगर निगम और प्रशासन पुलिस का अमला मंगलवार को लाउडस्पीकर से चेतावनी देने यहां पहुंचा था. अधिकारियों ने दावा किया कि लोगों को आवंटन पत्र दे दिए गए हैं और उनको कहा गया है कि आश्रयहीन योजना में आवास ले लें उनको वहां तत्काल क़ब्ज़ा दे दिया जाएगा. सभी को तत्काल यहां से जाने के लिए कहा गया.
सामने आए अधिकारियों की बदसलूकी के नजारे : बस्ती में कार्यवाही के दौरान बदसलूकी के नजारे भी सामने आए. लोगों ने आरोप लगाया कि जो आवंटन पत्र दिए गए हैं. उनमें से कई तो मृतकों के नाम पर हैं. कुछ महिलाओं ने बताया कि वे लोग यहां पर कई पीढ़ी से रह रहे हैं. यह गांव बंधे का हिस्सा नहीं है. इसके बावजूद हटाया जा रहा है. सामान लेने के लिए प्रशासन अपनी गाड़ियां लाने का दावा कर रहा है जबकि वह नगर निगम की कूड़ा गाड़ियां हैं. लोगों का यह भी कहना था कि यह मामला अदालत में लंबित है. इसके बावजूद अधिकारी हमारे आशियाने तोड़ने पर आमादा हैं.
रोते रहे महिलाएं और बच्चे : घर टूटने की पीड़ा में महिलाएं और बच्चे जमकर रो रहे थे. लोगों का कहना है कि देवपुर पारा में जहां उनका आवास दिए जा रहे हैं. वहां कोई बस्ती नहीं है. हम यहां अपने मकानों में हम लाखों रुपये लगा चुके हैं और हमको एक छोटा सा फ्लैट दिया जा रहा है. प्रशासनिक कार्रवाई के चलते आज बस्ती के किसी घर में झूला नहीं जला है. बिजली काट दी गई है. कई लोग बीमार हैं. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग दहशत में हैं. इसके बावजूद अधिकारियों का दिल नहीं पसीज रहा है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि करीब 1400 अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस दे दिया गया है. सभी का डिमोलिशन आर्डर हो गया है. सबको दो दिन का समय दिया जा रहा है कि वह अपने-अपने आवास खाली कर दें.
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