लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने किसी अचल सम्पत्ति की खरीद बिक्री में स्टांप ड्यूटी अदा करने के मामले में स्पष्ट किया है कि कलेक्टर या एडीएम (वित्त एवं राजस्व) कम स्टांप ड्यूटी अदा करने को लेकर कोई जुर्माना नहीं लगा सकता. वह सिर्फ सही मूल्यांकन करते हुए, वास्तविक स्टांप ड्यूटी जमा करने का आदेश दे सकता है. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों की प्रक्रिया चलाते समय सम्पत्ति का स्थलीय निरीक्षण अवश्य किया जाना चाहिए.
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की एकल पीठ ने लालता प्रसाद की ओर से दाखिल एक याचिका पर दिया गया. याची का कहना था कि उसने 1 जुलाई 1995 को बहराइच जनपद में एक सम्पत्ति क्रय की थी, जिसके लिए उसने डीएम सर्किल रेट के अनुसार स्टांप ड्यूटी भी अदा की थी, लेकिन नवम्बर 1999 में उसके पास नोटिस आई कि उसने उक्त सम्पत्ति पर कम स्टाम्प मूल्य अदा किया था लिहाजा स्टाम्प मूल्य और जुर्माने के तौर पर उसे 24 हजार 961 रुपये जमा करने होंगे.
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याची ने एसडीएम कैसरगंज के इस आदेश को अपर आयुक्त के समक्ष चुनौती दी, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई. याची की ओर से दलील दी गई कि स्टांप एक्ट की धारा 47ए के तहत की गई ऐसी कार्रवाईयों में कलेक्टर को जुर्माना अधिरोपित करने का अधिकार नहीं है. याची का कहना था कि जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति 1 जनवरी 1998 के बाद के सम्पत्ति खरीद मामलों में लागू होती है. न्यायालय ने मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद अपने आदेश में कहा कि धारा 47 की उपधारा 4 इस बात को स्पष्ट करती है कि कलक्टर को जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है.