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अवैध निर्माण को अनदेखा करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की, हाईकोर्ट ने एलडीए से तलब की रिपोर्ट

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने शहर में एलडीए के अधिकारियों की मिलीभगत व निष्क्रियता से अवैध इमारतों के निर्माण पर सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने एलडीए से पूछा है कि ऐसे दागी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है.

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Published : Oct 21, 2022, 9:21 PM IST

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने शहर में एलडीए के अधिकारियों की मिलीभगत व निष्क्रियता से अवैध इमारतों के निर्माण पर सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने एलडीए से पूछा है कि ऐसे दागी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. न्यायालय ने इसकी रिपोर्ट 9 नवम्बर को पेश करने के आदेश दिए हैं, साथ ही एलडीए के ऐसे अधिकारियों की सूची भी मांगी है.



यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी अशोक कुमार द्वारा 2012 में दाखिल एक पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिका में शहर के अवैध निर्माणों का विषय उठाया गया है. कहा गया है कि अवैध निर्माण के समय एलडीए के अफसर चुप्पी साधे रखते हैं और आंख बंद कर लेते हैं. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि ऐसे दागी अधिकारियों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है जिससे उनके हौंसले बुलंद रहते हैं. न्यायालय ने पाया कि एलडीए के अधिवक्ता ने दस साल पहले ही कोर्ट को आश्वासन दिया था कि दागी अफसरों पर कार्यवाही की जा रही है, लेकिन पत्रावली अब तक एलडीए ने कृत कार्यवाही की कोई रिपोर्ट नहीं दाखिल की है. इस पर न्यायालय ने नाखुशी जताते हुए अगली सुनवाई पर कृत कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की है.

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में सिपाहियों का साइकिल भत्ता खत्म, अब मिलेगा मोटरसाइकिल भत्ता


न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एलडीए अधिकारियों की यह भी जिम्मेदारी है कि नक्शा पास होने के बाद भी वे यह देखें कि निर्माण उसके विपरीत न होने पाए. न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ एलडीए से यह रिपोर्ट भी मांगी है कि कितने निर्माण अवैध पाए गए हैं और कितने अवैध निर्माण के मामलों में समन किया गया है.

यह भी पढ़ें : दस साल से फरार हत्यारोपी असम से गिरफ्तार, एक लाख रुपये घोषित था इनाम

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने शहर में एलडीए के अधिकारियों की मिलीभगत व निष्क्रियता से अवैध इमारतों के निर्माण पर सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने एलडीए से पूछा है कि ऐसे दागी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. न्यायालय ने इसकी रिपोर्ट 9 नवम्बर को पेश करने के आदेश दिए हैं, साथ ही एलडीए के ऐसे अधिकारियों की सूची भी मांगी है.



यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी अशोक कुमार द्वारा 2012 में दाखिल एक पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिका में शहर के अवैध निर्माणों का विषय उठाया गया है. कहा गया है कि अवैध निर्माण के समय एलडीए के अफसर चुप्पी साधे रखते हैं और आंख बंद कर लेते हैं. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि ऐसे दागी अधिकारियों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है जिससे उनके हौंसले बुलंद रहते हैं. न्यायालय ने पाया कि एलडीए के अधिवक्ता ने दस साल पहले ही कोर्ट को आश्वासन दिया था कि दागी अफसरों पर कार्यवाही की जा रही है, लेकिन पत्रावली अब तक एलडीए ने कृत कार्यवाही की कोई रिपोर्ट नहीं दाखिल की है. इस पर न्यायालय ने नाखुशी जताते हुए अगली सुनवाई पर कृत कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की है.

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न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एलडीए अधिकारियों की यह भी जिम्मेदारी है कि नक्शा पास होने के बाद भी वे यह देखें कि निर्माण उसके विपरीत न होने पाए. न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ एलडीए से यह रिपोर्ट भी मांगी है कि कितने निर्माण अवैध पाए गए हैं और कितने अवैध निर्माण के मामलों में समन किया गया है.

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