लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रो. विनय कुमार पाठक को बड़ी राहत देते हुए एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति प्रो. पीके मिश्रा द्वारा दिए गए आदेश के क्रम में प्रस्तावित जांच पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया 1 फरवरी 2023 को दिया गया जांच का उक्त आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने प्रो. विनय कुमार पाठक की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया.
याचिका में 1 फरवरी 2023 के उस आदेश को चुनौती दी गई है. जिसमें यूजीसी के 21 नवंबर 2022 के पत्र का हवाला देते हुए प्रो. पाठक के विरुद्ध जांच कमेटी के गठन का आदेश दिया गया था. याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एलपी मिश्रा ने दलील दी कि यूपी स्टेट यूनिवर्सिटीज एक्ट के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो एक कुलपति को पूर्व कुलपति के विरुद्ध जांच कराने की शक्ति देता हो. कहा गया कि 21 नवम्बर 2022 के पत्र में यूजीसी ने भी प्रो. पाठक के विरुद्ध जांच करने के लिए एकेटीयू को अधिकृत नहीं किया है.
याचिका का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता असित चतुर्वेदी की दलील थी कि सिर्फ एक ‘फ़ैक्ट फाइंडिंग एंकवायरी’ का आदेश दिया गया है न कि किसी विस्तृत जांच का.
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पारित अपने अंतरिम आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया न तो यूजीसी ने अपने 21 नवम्बर 2022 के पत्र में यूनिवर्सिटी को जांच के लिए अधिकृत किया है और न ही यूनिवर्सिटी एक्ट का कोई प्रावधान या अन्य कोई भी वैधानिक प्रावधान यूनिवर्सिटी को जांच की शक्ति देता है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने अगली सुनवाई तक प्रस्तावित जांच पर रोक लगाने का आदेश देते हुए राज्य सरकार, यूजीसी व एकेटीयू को चार सप्ताह में जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का आदेश दिया है.