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27 सालों से तारीख पर तारीख लेने पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, लगाया 25 हजार रुपये का हर्जाना

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिविल मामले में स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद तारीख पर तारीख लेकर मुकदमे को 27 सालों से लटकाए जाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने मामले के याचियों पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Mar 23, 2022, 10:28 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक सिविल मामले में स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद तारीख पर तारीख लेकर मुकदमे को 27 सालों से लटकाए जाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने मामले के याचियों पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया. साथ ही उनकी याचिका भी खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अरशदुल्लाह खान और अन्य की याचिका पर पारित किया.

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह याचिका 27 अक्टूबर 1995 को सुनवाई के लिए स्वीकार की गई थी. याचियों के पक्ष में स्थगन आदेश भी पारित किया गया. स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद याचियों की ओर से 27 सालों से हर तारीख पर कोई न कोई बहाना कर के मामले में अगली तारीख प्राप्त कर ली जा रही है. न्यायालय ने कहा कि यह बहुत ही परेशान करने वाली बात है, हमें याचियों के अधिवक्ता के आचरण पर टिप्पणी करने में पीड़ा हो रही है. न्यायालय ने आगे कहा कि इस प्रकार कोर्ट के बहुमूल्य समय की आपराधिक बर्बादी की जाती है. बार और बेंच न्याय के रथ के दो पहिये हैं और यदि बार सहयोग नहीं करेगी तो न्याय के को रथ आगे नहीं बढाया जा सकता.

इसे भी पढे़ंः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जिला जजों को दिए निर्देश, स्पष्ट रूप से लिखे जाएं अदालती आदेश

इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचियों पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. न्यायालय ने कहा कि चार सप्ताह में इस धनराशि को आर्मी बैटल कैजुअल्टी वेलफेयर फंड में जमा किया जाए. मामला पाकिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए मेजर चंद्रभान सिंह को जमीन आवंटन से जुड़ा है. उन्हें 4 अप्रैल 1955 को एक निष्क्रांत सम्पत्ति से जमीन आवंटित की गई थी, जिस पर याचियों ने आपत्ति दाखिल की.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक सिविल मामले में स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद तारीख पर तारीख लेकर मुकदमे को 27 सालों से लटकाए जाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने मामले के याचियों पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया. साथ ही उनकी याचिका भी खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अरशदुल्लाह खान और अन्य की याचिका पर पारित किया.

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह याचिका 27 अक्टूबर 1995 को सुनवाई के लिए स्वीकार की गई थी. याचियों के पक्ष में स्थगन आदेश भी पारित किया गया. स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद याचियों की ओर से 27 सालों से हर तारीख पर कोई न कोई बहाना कर के मामले में अगली तारीख प्राप्त कर ली जा रही है. न्यायालय ने कहा कि यह बहुत ही परेशान करने वाली बात है, हमें याचियों के अधिवक्ता के आचरण पर टिप्पणी करने में पीड़ा हो रही है. न्यायालय ने आगे कहा कि इस प्रकार कोर्ट के बहुमूल्य समय की आपराधिक बर्बादी की जाती है. बार और बेंच न्याय के रथ के दो पहिये हैं और यदि बार सहयोग नहीं करेगी तो न्याय के को रथ आगे नहीं बढाया जा सकता.

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इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचियों पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. न्यायालय ने कहा कि चार सप्ताह में इस धनराशि को आर्मी बैटल कैजुअल्टी वेलफेयर फंड में जमा किया जाए. मामला पाकिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए मेजर चंद्रभान सिंह को जमीन आवंटन से जुड़ा है. उन्हें 4 अप्रैल 1955 को एक निष्क्रांत सम्पत्ति से जमीन आवंटित की गई थी, जिस पर याचियों ने आपत्ति दाखिल की.

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