लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डिग्री कॉलेजों के छात्रों से विलम्ब शुल्क वसूलने पर सख्त रूख अपनाया है. कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी बताते हुए राज्य और विश्वविद्यालयों को इसे रोकने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया है.
ये आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की एकल पीठ ने राम अवतार कल्याणी देवी कन्या महाविद्यालय, माधुरी सिंह महाविद्यालय और श्री जगदेव सिंह महाविद्यालय की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. उक्त तीनों ही कॉलेज लखनऊ यूनिवर्सिटी से संबंद्ध हैं.
दरअसल लखनऊ यूनिवर्सिटी ने परीक्षा शुल्क देर से जमा करने पर इन कॉलेजों को प्रति छात्र पांच सौ रुपये का लेट फीस जमा करने का निर्देश दिया था. जिसके बाद कॉलेजों ने वर्तमान याचिकाएं दाखिल कीं. याचिकाओं पर अंतरिम राहत देते हुए कोर्ट ने प्रति छात्र ढाई सौ रुपये विलम्ब शुल्क जमा करने का आदेश दिया. हालांकि बाद में यूनिवर्सिटी ने अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए, विलम्ब शुल्क को ढाई सौ रुपये ही कर दिया. मामले की सुनवाई के दौरान यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता ने दलील दी कि याची कॉलेज दाखिले के समय ही छात्रों से पूरा शुल्क वसूल लेते हैं. लेकिन हर साल वे परीक्षा शुल्क जमा करने में देरी करते हैं. कोर्ट ने इस पर कहा कि ऐसे कॉलेज बाद में विलम्ब शुल्क छात्रों से वसूल करते हैं.
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यह छात्रों और विश्वविद्यालय दोनों के साथ धोखा है. कोर्ट ने आगे कहा कि इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है कि ऐसे कॉलेज विलम्ब शुल्क छात्रों से न वसूल सकें. कोर्ट ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालयों को अकादमिक सत्र की शुरूआत में ही यह प्रावधान करना चाहिए.