लखनऊ : राजधानी के सांस्कृतिक कर्मियों को नए साल पर राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह एक नये रूप में दिखाई देगा. अभी उसके नवीनीकरण का काम चल रहा है और आने वाल दो से तीन महीने में पूरी तरह से बनकर तैयार हो जायेगा. नवीनीकरण को लेकर कलाकारों में खुशी की लहर है.
सांस्कृतिक केंद्र बन गया बली प्रेक्षागृह
यह कहना गलत नहीं होगा कि कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह शहर का सांस्कृतिक केंद्र है. यहां रोज ही सांस्कृतिक गतिविधियां होती रहती हैं. नाटक, नृत्य, गायन अलावा के गोष्ठियां भी चलती ही रहती हैं. इसके अलावा भी यह प्रेक्षागृह सांस्कृतिक कर्मियों के मिलन का एक स्थल भी है. यहां लोग आपस में मिलकर चर्चा करते हैं.
बदहाल हो गया था प्रेक्षागृह
देखरेख की कमी की वजह से प्रेक्षागृह की छतें टपकने लगी थीं. इसकी सीटें खराब हो गई थीं, इस तरह से यह बदहाली की ओर अग्रसर था. इसको लेकर रंगकर्मियों में रोष भी था. इसको लेकर उन लोगों ने धरना देकर रोष जताया भी था.
नवीनीकरण को लेकर रंगकर्मियों में खुशी
युवा रंगकर्मी मुकेश, प्रेक्षागृह के नवीनीकरण को लेकर बहुत खुश हैं. वह तो इस प्रेक्षागृह को एक मंदिर की तरह मानते हैं. इसके होने से शहर में सांस्कृतिक हलचल बनी रहती है. वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया भी कहते हैं कि यह प्रेक्षागृह रंगकर्मियों का गढ़ है. यह शहर के केन्द्र में स्थित है. आने-जाने की सुविधा है. इसका किराया भी अन्य प्रेक्षगृहों की तुलना में कम है.
नवाबी काल में परीखाना कहलाता था यह इलाका
इतिहासकार योगेश प्रवीन बताते हैं, जहां आज बली प्रेक्षागृह है. यह इलाका नवाबी काल में परीखाना कहलाता था. अंग्रेजी शासन के समय इसमें बदलाव किया गया था. उस पूरे इलाके को एक ही स्थापत्य कला में ढाला गया था.