लखनऊ: सपा मुखिया और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती नगर विपिन खंड में जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (Jai Prakash Narayan International Center) 1100 करोड़ रुपये के खर्च के बावजूद खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. राजनीतिक दलों के बीच की कश्मकश में लखनऊ का एक शानदार प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है. 2017 तक इसका काम लगभग पूरा हो चुका था, मगर बजट बढ़ने के बाद प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देना बाकी था. भाजपा सरकार आने के बाद पहले इसका बजट रुक गया और इसके बाद शासन को संशोधित डीपीआर भेज दी गई. यह संशोधित डीपीआर अब तक अनुमोदित होकर शासन से वापस नहीं आई है. इस वजह से 19 मंजिल का यह केंद्र दिनों-दिन बदहाल होता जा रहा है.
समाजवादी पार्टी की सरकार में जेपी सेंटर सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था. इसे इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर बनाया गया है. इसमें करीब 110 कमरों का गेस्ट हाउस, दो हजार वाहनों के लिए एक मल्टीलेवल पार्किंग, 19वीं मंजिल पर हैलीपैड और इसके अलावा ऑल वेदर स्वीमिंग पूल, जयप्रकाश नारायण के जीवन पर आधारित एक म्यूजियम, बैडमिंटन कोर्ट और टेनिस कोर्ट, विशाल सभागार, क्लब हाउस और अन्य बेहतरीन सुविधाएं इस जेपी सेंटर के भीतर उपलब्ध कराई गई थीं. ओलंपिक साइज ऑल वेदर स्विमिंग पूल और म्यूजियम का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2016 में ही कर दिया था. मगर समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद जेपी सेंटर का काम दोबारा कभी शुरू नहीं हो पाया.
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यहां बचे काम को करने के लिए ठेकेदार अतिरिक्त करीब 100 करोड़ रुपये की मांग कर रहा था. इसको सरकार ने अधिक मानते हुए पैसे जारी नहीं किए. कुछ बजट जारी हुआ था, वह काम हुआ. मगर उसके लिए चुनाव से पहले एक संशोधित डीपीआर पास होने के लिए शासन स्तर पर भेजी गई थी. अब तक यह लंबित है. इसके चलते जयप्रकाश नारायण केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
इसकी बदहाली को लेकर फिलहाल कोई ठोस जवाब लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से नहीं दिया जा रहा है. अंदर खाने की खबर यह है कि सरकार की इस केंद्र को चमकाने में कोई रुचि नहीं है. इसलिए इसके काम लगातार लंबित हो रहे हैं. इस बारे में लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि शासन स्तर पर संशोधित डीपीआर लंबित है. डीपीआर स्वीकृत होने के बाद ही इसको पूरा कराकर संचालित किया जाएगा.
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