लखनऊः लखनऊ समेत प्रदेश के 5 जिलों में चल रही सेमेस्टर परीक्षाओं का लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ ( LUACTA) आज से बहिष्कार करेगा. संगठन की ओर से बीते करीब एक महीने से आंदोलन किया जा रहा है. वहीं, सरकार के स्तर पर कोई सुनवाई न होने के कारण नाराज शिक्षकों ने यह घोषणा की है.
लुआक्टा के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज पांडे और महामंत्री डॉक्टर अंशु केडिया ने कहा कि सरकार को बार-बार शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया जा चुका है. आश्वासनों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. इससे शिक्षकों में नाराजगी है. ऐसे में संगठन कार्यकारिणी की तरफ से अब परीक्षाओं का बहिष्कार करने का फैसला लिया गया.
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शासन की तरफ से लखनऊ विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में विस्तार किया गया है. अभी लखनऊ के करीब 170 कॉलेज लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे. अब लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई और रायबरेली के कॉलेज भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से जुड़ गए हैं. लुआक्टा की तरफ से पहले काली पट्टी बांधकर विरोध किया गया. उसके बाद शिक्षक अनशन पर बैठे. इसके बावजूद सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. शिक्षकों की ओर से 24 दिसंबर को 11 सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया गया था. भाजपा समर्थित राज्यों में यूजीसी संस्तुतियों के अनुसार कई लाभ प्रदान किया जा चुके हैं. उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को उक्त लाभ प्राप्त नहीं हुआ है. प्रोफेसर के पद का लाभ उत्तराखंड में 1 जनवरी 2009 से प्रदान किया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में 1 नवम्बर 2021 से प्रदान किया जा रहा है.
अधिवर्षता आयु 65 वर्ष यूजीसी संस्तुतियों के अनुसार उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार, चंडीगढ़ सहित कई राज्यों के उच्च शिक्षा के शिक्षकों को लाभ प्राप्त हो चुका है. पेंशन बुढ़ापे की लाठी है. एक दिन के सांसद और विधायक भी पेंशन पाने का अधिकारी हो जाता है, लेकिन 30 साल की सेवा करने वाले कर्मचारियों को यह लाभ प्राप्त नहीं होता है. स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को पुनः अनुदान सूची पर लिए जाने तथा राज्य कर्मचारियों की भांति कैशलेस चिकित्सा प्रतिपूर्ति दिए जाने के साथ ही ग्रेच्युटी का लाभ भी शिक्षकों को दिया जाए.
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