लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) अपनी करीब एक दर्जन मांगों को लेकर शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के सरस्वती प्रतिमा पर धरना प्रदर्शन शुरू किया. इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से किसी भी अधिकारी के उनसे मिलने ना आने से आहत होकर शिक्षकों ने दोपहर तीन बजे के करीब विश्वविद्यालय के कुलसचिव कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन शुरू कर दिया.
प्रदर्शन कर रहे शिक्षक नेताओं का कहना है कि बीते अप्रैल में कुलपति के साथ बैठक में कई मांगों पर सहमति बनी थी. बैठक में 18 मई 23 तक लुआक्टा द्वारा कुलपति से नियमानुसार ग्रीष्मावकाश, प्रतिकर अवकाश को परिभाषित न करने एवं अर्थशास्त्र विभाग द्वारा पीएचडी अध्यादेश के विपरीत सीटो का आवंटन किए जाने तथा आनलाइन कोर्स न कराया जाने के सम्बन्ध में ज्ञापन एवं वार्ता हुई थी. कुलपति द्वारा वार्ता में समस्या के समाधान किए जाने पर सहमति व्यक्त की गई, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा वार्ता में बनी सहमति (21 मई से अवकाश) के विपरीत ग्रीष्मवकाश का आदेश 4 जून 2023 (रविवार) से 16 जुलाई 23 (रविवार) तक किए जाने के आदेश दिया है. जिससे शिक्षकों में काफी नाराजगी है.
लुआक्टा के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज पांडेय ने बताया कि यूजीसी नियमन 2018 एवं परिनियमावली में दी गई व्यवस्था के अनुसार विश्वविद्यालय के शिक्षकों को 8 सप्ताह एवं महाविद्यालय के शिक्षकों को 10 सप्ताह अवकाश दिए जाने का प्रावधान किया गया है. लुआक्टा द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि पूर्व की भांति महाविद्यालय के शिक्षकों से दो सप्ताह अधिक का संशोधित आदेश जारी कर दिया जाए. वर्तमान मे भयंकर गर्मी का भी प्रकोप बढ़ता जा रहा है. छात्रों के साथ अभिभावकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अविभावक अपने बच्चों को महाविद्यालय भेजने से कतरा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा अर्थशास्त्र विभाग द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश के अनुसार न तो सीटो का आवंटन किया गया न ही ऑनलाइन कोर्स कराया गया. जिससे शिक्षकों एवं छात्रों दोनों को नुकसान उठाना पड़ा. कॉलेज के छात्र/छात्राओं को विश्वविद्यालय आकर मौखिक परीक्षा देने के लिए दबाव बनाया जाता है. विभाग की मनमानी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों से बाध्य होकर लुआक्टा को धरना देने के लिए बाध्य होना पड़ा. डॉ. पांडेय ने बताया कि लुआक्टा विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करता है कि तत्काल परिनियम में दी गई व्यवस्था के अनुसार ग्रीष्मावकाश एवं अर्थशास्त्र विभाग की समस्या के समाधान करे. जिससे समस्याओं का समाधान हो एवं आंदोलन न करना पड़े. अगर मैसेज डाले उनकी मांगों को नहीं मानता है तो लुआक्टा परीक्षा का बहिष्कार भी कर सकता है.
यह भी पढ़ें : सिद्धारमैया दूसरी बार बने कर्नाटक के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने भी शपथ ली