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LU: प्रोफेसर पांडे के बाद अब डीन साइंस ने भी उठाए शिक्षक भर्ती पर सवाल - लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती को लेकर साइंस फैकल्टी के डीन प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने दिखाई नाराजगी. सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से प्रोफेसर का इंकार . प्रोफेसर ने आनन-फानन में करवाए जा रहे इंटरव्यु को लेकर उठाए सवाल.

प्रोफेसर ने आनन-फानन में करवाए जा रहे इंटरव्यु को लेकर उठाए सवाल
प्रोफेसर ने आनन-फानन में करवाए जा रहे इंटरव्यु को लेकर उठाए सवाल
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Published : Nov 16, 2021, 1:04 PM IST

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती को लेकर विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग के प्रोफेसर एनके पांडे के बाद अब साइंस फैकल्टी के डीन प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने भी नाराजगी दिखाई है. प्रोफेसर ने भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से ही साफ इनकार कर दिया है.

सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से नाराज प्रोफेसर का साफ इंकार

बता दें कि प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर इस सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से ही साफ इनकार कर दिया है. प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह को आज यानी 16 नवंबर को होने वाली फिजिक्स विभाग की सिलेक्शन कमेटी की बैठक के लिए बुलाया गया.

जल्दबाजी पर उठाए सवाल

उन्होंने बतया कि उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से 2 दिन पहले यानी 14 नवंबर को इस संबंध में सूचित किया गया. जबकि नियमानुसार 15 दिन पहले उन्हें इसकी जानकारी दी जानी चाहिए. उनकी ओर से फिजिक्स की सिलेक्शन कमेटी को लेकर दिखाई जा रही जल्दबाजी पर भी सवाल खड़े किए गए.

आनन-फानन में करवाए जा रहे इंटरव्यू

चर्चा यह भी है कि विश्वविद्यालय प्रशासन में बैठे लोग अपने किसी चहेते को लाभ पहुंचाने के लिए यह जल्दबाजी दिखा रहे हैं. सवाल यह भी है कि फिजिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष का कार्यकाल 19 नवंबर को पूरा होने जा रहा है. ऐसे में क्या जल्दबाजी है कि 16 नवंबर को आनन-फानन तिथि घोषित कर इंटरव्यू कराए जा रहे हैं. गौरतलब है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.

पत्र में लिखा- देना चाहिए कम से कम 15 दिन का समय

फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रो. एन.के पांडेय ने कुलपति को एक पत्र भेजा है. इसके मुताबिक अभ्यर्थी को सूचना भेजने की तिथि से कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना जरूरी है. तभी काउंसलिंग कराई जा सकती है. नोटिस व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक से भेजा जा सकता है. यह विश्वविद्यालय का पक्ष 15 अक्टूबर 2019 के उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के शासनादेश के अनुसार राज्य सरकार ने यूजीसी अधिनियम 2018 को अंगीकार कर लिया था. यह व्यवस्था राज्य सरकार ने यू पी यूनिवर्सिटीज एक्ट 1973 के धारा 50 के उपधारा 6 के अंतर्गत लागू किया, जिसके अनुसार राज्य विश्वविद्यालयों को उक्त संशोधन को अपने परिनियमावली में सम्मिलित करना अनिवार्य होता है.

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती को लेकर विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग के प्रोफेसर एनके पांडे के बाद अब साइंस फैकल्टी के डीन प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने भी नाराजगी दिखाई है. प्रोफेसर ने भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से ही साफ इनकार कर दिया है.

सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से नाराज प्रोफेसर का साफ इंकार

बता दें कि प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर इस सिलेक्शन कमेटी में शामिल होने से ही साफ इनकार कर दिया है. प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह को आज यानी 16 नवंबर को होने वाली फिजिक्स विभाग की सिलेक्शन कमेटी की बैठक के लिए बुलाया गया.

जल्दबाजी पर उठाए सवाल

उन्होंने बतया कि उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से 2 दिन पहले यानी 14 नवंबर को इस संबंध में सूचित किया गया. जबकि नियमानुसार 15 दिन पहले उन्हें इसकी जानकारी दी जानी चाहिए. उनकी ओर से फिजिक्स की सिलेक्शन कमेटी को लेकर दिखाई जा रही जल्दबाजी पर भी सवाल खड़े किए गए.

आनन-फानन में करवाए जा रहे इंटरव्यू

चर्चा यह भी है कि विश्वविद्यालय प्रशासन में बैठे लोग अपने किसी चहेते को लाभ पहुंचाने के लिए यह जल्दबाजी दिखा रहे हैं. सवाल यह भी है कि फिजिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष का कार्यकाल 19 नवंबर को पूरा होने जा रहा है. ऐसे में क्या जल्दबाजी है कि 16 नवंबर को आनन-फानन तिथि घोषित कर इंटरव्यू कराए जा रहे हैं. गौरतलब है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.

पत्र में लिखा- देना चाहिए कम से कम 15 दिन का समय

फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रो. एन.के पांडेय ने कुलपति को एक पत्र भेजा है. इसके मुताबिक अभ्यर्थी को सूचना भेजने की तिथि से कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना जरूरी है. तभी काउंसलिंग कराई जा सकती है. नोटिस व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक से भेजा जा सकता है. यह विश्वविद्यालय का पक्ष 15 अक्टूबर 2019 के उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के शासनादेश के अनुसार राज्य सरकार ने यूजीसी अधिनियम 2018 को अंगीकार कर लिया था. यह व्यवस्था राज्य सरकार ने यू पी यूनिवर्सिटीज एक्ट 1973 के धारा 50 के उपधारा 6 के अंतर्गत लागू किया, जिसके अनुसार राज्य विश्वविद्यालयों को उक्त संशोधन को अपने परिनियमावली में सम्मिलित करना अनिवार्य होता है.

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