लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की हालत पहले से ही खस्ता है और बिजली कर्मियों की हड़ताल से अब हालत और भी पतली हो गई है. करीब एक लाख करोड़ के घाटे में चल रहे पावर कारपोरेशन को तीन दिन की हड़ताल में कई सौ करोड़ की राजस्व वसूली नहीं हो पाई. बिजली का उत्पादन बंद होने, बिजली बिल की वसूली न होने, नए कनेक्शन जारी न होने, बिजली चोरी के खिलाफ कोई अभियान न चलने से मार्च माह में राजस्व वसूली पर असर पड़ा है.
राजस्व वसूली के लिहाज से मार्च माह काफी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसी महीने में बिजली कर्मचारियों ने 72 घंटे की हड़ताल कर दी. इसका नतीजा यह हुआ कि न जिम्मेदार अधिकारी और न ही कर्मचारी राजस्व वसूली के लिए बाहर निकले. बिजली विभाग के राजस्व वसूली के लिहाज से तीन दिन बेकार चले गए. इन तीन दिनों में न बिजली चोरी के खिलाफ कोई अभियान चलाकर राजस्व वसूली हुई, न बिलिंग सेंटरों पर बिल जमा होने से राजस्व का कलेक्शन हुआ, न नए कनेक्शन जारी करने के एवज में आने वाली कनेक्शन की फीस ही बिजली विभाग को मिल सकी. इसका नतीजा हुआ कि प्रतिदिन डेढ़ सौ करोड़ रुपए का राजस्व कलेक्शन करने वाले विभाग की तीन दिन तक कोई वसूली हुई ही नहीं. ऐसे में 450 से 500 करोड़ रुपए इन दिनों में वसूल हो सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब हड़ताल खत्म हुई है तो प्रबंधन की तरफ से अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है ज्यादा से ज्यादा राजस्व वसूली करें, जिससे पावर कारपोरेशन का घाटा कुछ कम किया जा सके.
बता दें कि वर्तमान में पावर कारपोरेशन एक करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है. इस घाटे की भरपाई के जो भी साधन हैं उनके इस्तेमाल के बावजूद घाटा कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. घाटे को पूरा करने के लिए पावर कारपोरेशन तमाम जतन कर रहा है, लेकिन घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा है.
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज का कहना है कि 'सभी डिस्कॉम के अधिकारियों को राजस्व वसूली पर विशेष ध्यान देने के लिए निर्देशित किया गया है. कहा गया है कि मार्च का महीना राजस्व वसूली के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, इसलिए जो भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है उसे पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया जाए. पावर कारपोरेशन का घाटा राजस्व वसूली से ही पूरा होगा.'
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