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गणेश जी की आरतीः इन खास बातों का रखना चाहिए ध्यान

भगवान गणपति जी की आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. गणेश जी की पूजा के बाद आरती करने से दाम्पत्य जीवन में सुख और सौभाग्य आता है. वहीं घर में समृद्धि भी बढ़ती है. सुबह और शाम दोनों समय गणेश जी की आरती करनी चाहिए.

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Published : Dec 1, 2021, 7:06 AM IST

गणेश जी की आरती.
गणेश जी की आरती.

लखनऊः गणेश जी की आरती के समय कई लोग गलतियां कर देते हैं. गणेश जी की आरती में बत्तियों का प्रकार, उनकी संख्या, वाद्य यंत्र और आरती घूमाने की दिशा जैसी जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

आरती करते समय इन बातों का ध्यान रखें -

1- मान्यता है कि आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाएं. शंख बजाते समय मुंह उपर की तरफ रखें.

2- आरती करते हुए घंटी एक लय में बजाएं और आरती गाते हुए सूर और लय का ध्यान रखें. इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम आदी वाद्य यंत्र बजाएं.

3- आरती गाते समय शुद्ध उच्चरण करें.

4- आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए.

5- कपूर आरती भी की जाती है. बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है.

आरती-

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा.

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी,

माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी,

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा.

हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा,

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा...

लखनऊः गणेश जी की आरती के समय कई लोग गलतियां कर देते हैं. गणेश जी की आरती में बत्तियों का प्रकार, उनकी संख्या, वाद्य यंत्र और आरती घूमाने की दिशा जैसी जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

आरती करते समय इन बातों का ध्यान रखें -

1- मान्यता है कि आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाएं. शंख बजाते समय मुंह उपर की तरफ रखें.

2- आरती करते हुए घंटी एक लय में बजाएं और आरती गाते हुए सूर और लय का ध्यान रखें. इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम आदी वाद्य यंत्र बजाएं.

3- आरती गाते समय शुद्ध उच्चरण करें.

4- आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए.

5- कपूर आरती भी की जाती है. बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है.

आरती-

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा.

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी,

माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी,

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा.

हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा,

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा...

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