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लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना - लखनऊ मजदूर किसान विरोधी

केंद्र सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लोकदल 3 माह से गाजीपुर बॉर्डर पर किसान विरोधी कानून का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन कर रहा है. लोकदल के राष्टच्रीय

केंद्र सरकार का किया विरोध
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Published : Feb 20, 2021, 10:53 PM IST

लखनऊ: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ लोकदल 3 माह से गाजीपुर बॉर्डर पर मुखर है. माल एवेन्यू स्थित केंद्रीय कार्यालय पर शनिवार को पत्रकार वार्ता आयोजित की गई. इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में केंद्र सरकार कोयला खनन से लेकर सेल, गेल, भेल, रेल एयरपोर्ट समेत आधे सरकारी उपक्रम को अपने चंद पूंजीपति मित्रों के माध्यम से अपने अधीन कर लिया है. कोरोना काल में औद्योगिक शहरों से पलायन करने वाले मजदूर जब अपने गांव आए तो उन मजदूरों को आज तक केंद्र व राज्य सरकार द्वारा रोजगार नहीं उपलब्ध कराया जा सका है.

यह भी पढ़ें: बिल्डर से आवंटियों को राहत दिलाएगी एलडीए, टीम गठित

'उल्लंघन करने पर वसूला गया जुर्माना'

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान कई माह तक आम जनता को एक जगह नजरबंद करके रखा गया. वहीं दूसरी ओर कोविड-19 का उल्लंघन करने पर भारी भरकम जुर्माना भी वसूला गया. उन्होंने कहा कि सरकार आत्मनिर्भरता के नाम पर देश के प्राकृतिक संसाधनों और धरोहरों को कॉरपोरेट घराने को बेच रही है. कृषि संबंधित तीनों कानून खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले, किसानों को कॉरपोरेट घराने का गुलाम बनाने वाले व सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ध्वस्त करने वाले कानून हैं.

यह भी पढ़ें: डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर हत्या, ठगी सहित 4 मुकदमे सरकार ने लिए वापस

कानून के जरिए चुनें राज्यों के अधिकार

उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए न केवल राज्यों के अधिकार छीन लिए गए हैं, बल्कि कृषि बाजार को नियंत्रित करने वाले मंडी कानून में भी बदलाव किए गए हैं. इससे कृषि व्यापार करने वाली बड़ी कंपनियों व बड़े आढ़तियों के लिए किसानों की लूट का रास्ता साफ कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे मंडियों में काम करने वाले लाखों मजदूर ही बेरोजगार हो जाएंगे. खाद्यान्न व कृषि उपज खरीददारी से सरकार ने अपने हाथ खींच लिए हैं. परिणाम स्वरुप न्यूनतम समर्थन मूल्य की बची खुची संभावनाएं भी चौपट हो गई हैं.

लखनऊ: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ लोकदल 3 माह से गाजीपुर बॉर्डर पर मुखर है. माल एवेन्यू स्थित केंद्रीय कार्यालय पर शनिवार को पत्रकार वार्ता आयोजित की गई. इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में केंद्र सरकार कोयला खनन से लेकर सेल, गेल, भेल, रेल एयरपोर्ट समेत आधे सरकारी उपक्रम को अपने चंद पूंजीपति मित्रों के माध्यम से अपने अधीन कर लिया है. कोरोना काल में औद्योगिक शहरों से पलायन करने वाले मजदूर जब अपने गांव आए तो उन मजदूरों को आज तक केंद्र व राज्य सरकार द्वारा रोजगार नहीं उपलब्ध कराया जा सका है.

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'उल्लंघन करने पर वसूला गया जुर्माना'

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान कई माह तक आम जनता को एक जगह नजरबंद करके रखा गया. वहीं दूसरी ओर कोविड-19 का उल्लंघन करने पर भारी भरकम जुर्माना भी वसूला गया. उन्होंने कहा कि सरकार आत्मनिर्भरता के नाम पर देश के प्राकृतिक संसाधनों और धरोहरों को कॉरपोरेट घराने को बेच रही है. कृषि संबंधित तीनों कानून खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले, किसानों को कॉरपोरेट घराने का गुलाम बनाने वाले व सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ध्वस्त करने वाले कानून हैं.

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कानून के जरिए चुनें राज्यों के अधिकार

उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए न केवल राज्यों के अधिकार छीन लिए गए हैं, बल्कि कृषि बाजार को नियंत्रित करने वाले मंडी कानून में भी बदलाव किए गए हैं. इससे कृषि व्यापार करने वाली बड़ी कंपनियों व बड़े आढ़तियों के लिए किसानों की लूट का रास्ता साफ कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे मंडियों में काम करने वाले लाखों मजदूर ही बेरोजगार हो जाएंगे. खाद्यान्न व कृषि उपज खरीददारी से सरकार ने अपने हाथ खींच लिए हैं. परिणाम स्वरुप न्यूनतम समर्थन मूल्य की बची खुची संभावनाएं भी चौपट हो गई हैं.

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