लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पूर्व कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट पर लोकायुक्त ने अपना शिकंजा कस लिया है. पूर्व कुलपति पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. काफी समय पहले की गई शिकायत पर लोकायुक्त की टीम अचानक कैम्पस पहुंची. इस दौरान अफसरों से उनके कार्यकाल सम्बंधी दस्तावेज तलब किए. टीम की अचानक छापेमारी से कैम्पस में हड़कम्प मच गया.
कुर्सी मिलते ही अधिकारों का किया दुरुपयोग
14 अप्रैल 2017 को प्रो. एमएलबी भट्ट को केजीएमयू के कुलपति पद का कार्यभार सौंपा गया था. आरोप है कि कुर्सी मिलते ही उन्होंने अपने अधिकारों का जमकर दुरुपयोग किया. इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को नौकरी बांटी. कई कर्मियों को आउटसोर्सिंग पर रखकर उन्हें मोटा मानदेय दिया. इसके अलावा तमाम नियुक्ति, दवा, उपकण खरीद में भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं.
कार्यालय पहुंची लोकायुक्त की टीमभ्रष्टाचार की शिकायत उनके कुलपति रहते ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, लोकायुक्त समेत तमाम अधिकारियों से की गई. सोमवार सुबह 11:30 बजे लोकायुक्त की टीम केजीएमयू के कुलपति कार्यालय पहुंची. यहां 20 मिनट तक वर्तमान कुलपति डॉ. विपिन पुरी से वार्ता की. इसके बाद टीम ने प्रॉक्टर समेत अन्य अफसरों से काफी देर तक पूछताछ की. साथ ही कई दस्तावेज भी खंगाले. संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक लोकायुक्त की टीम आई थी. उसने क्या पूछताछ की, इसकी जानकारी अभी मीडिया को नहीं दी गई है. वहीं प्रो. एमएलबी भट्ट का पक्ष जानने के लिए कई बार कॉल की गई, मगर उन्होंने रिसीव नहीं किया.
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शासन ने भी बनाई थी जांच कमेटी
प्रो. एमएलबी भट्ट के पद पर रहते कोई जांच अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सके. चर्चा है कि प्रो. भट्ट की शासन-सत्ता में बड़ी पकड़ है. वहीं सगे सम्बंधी भी बड़े प्रशासनिक पदों पर हैं. ऐसे में जनप्रतिनिधियों व अन्य की ओर से की गई शिकायत पर शासन ने जांच के आदेश तो दिए, मगर मामला ढाक के पात वाला ही रहा. स्थिति यह थी कि मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनी हाईपावर कमेटी भी कार्रवाई करने में सफल नहीं हो सकी थी. इस कमेटी को जांच में क्या मिला, क्या कार्रवाई की, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है.
पूर्व कुलपति पर लगे ये गंभीर आरोप- उप चिकित्सा अधीक्षक पद पर मनमानी तैनाती के लिए विज्ञापन में फेरबदल करना.
- अपने चहेते सेवानिवृत्त कर्मियों को ओएसडी, पीएस आदि बनाकर मनमाना मानदेय देना.
- फॉर्मेसी पेपर लीक के आरोपी डॉक्टर को विजिलेंस ऑफीसर बनाना.
- कार्यकाल के दौरान रेजीडेंट भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होना.
- जूनियर डॉक्टरों की भर्ती में आरक्षण नियमों की अवहेलना.
- सीएम, पीएम, बीपीएल फंड के मरीजों की दवा, इंप्लांट व स्टेंट की लोकल पर्चेज खरीद में खेल.
- जननी सुरक्षा योजना व आयुष्मान भारत से लोकल पर्चेज दवा में गड़बड़ी.
- ऑनलाइन रसीद में फर्जीवाड़ा कर बड़े घपले का आरोप.
- पद का दुरुपयोग कर चेहते डॉक्टरों के व्यक्तिगत मुकदमों का खर्च संस्थान से पास कराना.
- डॉक्टरों पर कार्रवाई के मनमाने फैसले लेना, उन्हीं फैसलों पर कोर्ट से हारना.
- इन मुकदमों पर करोड़ों सरकारी धन का दुरुपयोग करना.
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