लखनऊ : कई बार लोग बचपन के सपने या अपने शौक को वह जीवन में आगे बढ़ने के साथ उसे भुला देते हैं. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने बचपन के शौक को पूरा करने के लिए बस एक मौके की तलाश में रहते हैं. उन्हें जैसे ही वह मौका मिलता है वह अपने बचपन के शौक (Learned music during Corona period) व उस समय देखे सपने को पूरा करते है. ऐसे ही एक ग्रुप नवाबों के शहर लखनऊ में भी है, जो अपने शौक को पूरा करने के लिए अपनी आधी उम्र के बाद भी पूरी कोशिश कर रहे हैं. एक तरफ जहां कोरोना ने देश और दुनिया को पूरी तरह से रोक दिया था, वहीं लोगों ने लॉकडाउन में मिले खाली समय का प्रयोग अपने बचपन के शौक और सपने को पूरा करने में लगा दिया. ऐसा ही एक ग्रुप लखनऊ में है जो बचपन में अपने गाने के शौक को पढ़ाई और फिर परिवार की जिम्मेदारियां के कारण पूरा नहीं कर सका, लेकिन अपने जीवन के दूसरे पड़ाव में वह इसे पूरा कर रहे हैं.
अशोक मंगलानी लखनऊ के एक व्यापारी हैं, इन्हें बचपन से ही म्यूजिक का शौक रहा है, लेकिन बचपन में पढ़ाई और फिर परिवार और व्यापार की जिम्मेदारियां ने उन्हें धीरे-धीरे अपने इस शौक से दूर कर दिया. उन्होंने बताया कि 'साल 2020 में जब कोरोना के वजह से लॉकडाउन लगा और पूरा शहर अपने घरों में कैद हो गया तो ऐसे समय में घर पर करने के लिए कोई विशेष काम नहीं होता था. उन्होंने बताया कि इस खाली समय को किस तरह से प्रयोग किया जाए इस पर काफी विचार किया. तब पुराने साथियों ने अपने बचपन के शौक को और सपने को इस खाली समय में पूरा करने का आइडिया दिया. उनकी बातों से प्रभावित होकर मैंने म्यूजिक की तरफ अपना खोया हुआ प्यार फिर से जागृत किया. इसके लिए अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक म्यूजिकल ग्रुप बनाया और एक बार फिर से खाली समय में म्यूजिक की प्रैक्टिस शुरू कर दी. फिर जब कोरोना का दौर समाप्त हुआ और जिंदगी धीरे-धीरे सामान्य होने लगी. इसके बाद भी मैंने अपने शौक के लिए अलग से समय निकाला और आज ढाई साल के से लगातार संगीत को सीख कर अपने सपने को पूरा कर रहा हूं.'
अशोक मंगलानी ने बताया कि 'लगातार ढाई साल से म्यूजिक सिखाने के बाद अब मेरे अंदर आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है. इसी का नतीजा है मैं अपना खुद का एक शो प्रख्यात सिंगर मुकेश के गानों के गानों पर कर रहा हूं. उन्होंने बताया कि मुझे जब दोबारा से म्यूजिक सीखना शुरू करना था तो मैंने अपने पुराने दोस्त व भातखंडे विश्वविद्यालय के पुराने छात्र रॉबिन भट्टाचार्य से संपर्क किया. उन्हें अपने सपने के बारे में और म्यूजिक सिखाने के बारे में बताया, तब हमने एक संस्था बनाई. इस मंच को तैयार किया, जो संगीत सीखने वालों को आगे ला रहा है. इस अभियान के तहत उन प्रतिभाओं को संगीत सीखने का एक मंच दे रहा है, जो संगीत के सपने को खुद में संजोए रखे है. सही मंच या प्रशिक्षण न मिल पाने के कारण उन्होंने अपने इस हुनर को कहीं ना कहीं दबा रखा है. हम ऐसे ही लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं, जो कहीं ना कहीं संगीत के प्रति रुचि रखते हैं, पर समय या साधन के अभाव में शौक को भुला देते हैं.' ग्रुप के सदस्य रॉबिन भट्टाचार्य ने बताया कि 'ग्रुप के माध्यम से संगीत की नई प्रतिभाओं के लिए एक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान के तहत संगीत के प्रति लगाव रखने वाले प्रतिभाओं के हुनर को तराशा जाएगा, चाहे वह शास्त्रीय संगीत हो, सुगम संगीत हो, उपशास्त्रीय संगीत हो या लोक संगीत हो. आज हमारे ग्रुप से करीब एक दर्जन से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जो अपनी उम्र के दूसरे पड़ाव में भी संगीत को सिखाना चाह रहे हैं. इसके अलावा कई युवा भी हमारे इस ग्रुप में आकर रोज ही संगीत सीख रहे हैं.'