लखनऊ : राजधानी लखनऊ के महानगर थाना प्रभारी को 2 आईएएस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करना भारी पड़ गया. उन्होंने बिना उच्च अधिकारियों को संज्ञान में लिए बिना ही आईएएस अधिकारियों पर शनिवार को मुकदमा दर्ज किया था. इस मामले में लापरवाही बरतने पर थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया है. बता दें राज्य नियोजन विभाग में आवासीय विद्यालय में रैंकिंग के फर्जीवाड़े का मुकदमा थाने में दर्ज किया गया था. जिसमें 2 आईएएस अधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी और अंकित अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है.
आईएएस अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करना पड़ा भारी
महानगर के थाना प्रभारी यशवंत सिंह को 2 आईएएस अधिकारियों पर बिना उच्च अधिकारियों को बताए मुकदमा दर्ज करना भारी पड़ गया. शनिवार को उन्होंने राज्य नियोजन विभाग में आवासीय विद्यालय में रैकिंग फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज किया था. इस मुकदमे में आईएएस अधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी और अंकित अग्रवाल को आरोपी बनाया गया. वहीं निरीक्षक यशकांत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने मुकदमा दर्ज करने से पहले अपने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी, जो कि एक गंभीर लापरवाही को दर्शाता है. इसलिए पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने उन्हें लाइन हाजिर कर दिया और उनकी जगह आलमबाग से प्रदीप सिंह को तैनाती दी गई है.
'मुकदमा दर्ज किया तब पता चला कि आरोपी आईएएस हैं'
महानगर थाने में पीड़ित महिला की तहरीर पर निरीक्षक यशकांत सिंह ने राज्य नियोजन विभाग के रैकिंग फर्जीवाड़े में दो लोगों पर मुकदमा दर्ज किया. हालांकि अब ये बात सामने आ रही है कि उस समय उन्हें भी नहीं पता था कि वह जिस पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है वह आईएएस अधिकारी हैं. दूसरी तरफ जैसे ही मुकदमा दर्ज हुआ और सोशल मीडिया पर एफआईआर की कॉपी वायरल हुई, उसके बाद पता चला कि मुकदमे में आरोपी बनाए गए दोनों अधिकारी आईएएस अधिकारी हैं.
IAS अधिकारियों पर केस दर्ज करना पड़ा भारी, थाना प्रभारी हुए लाइन हाजिर - लखनऊ खबर
राजधानी लखनऊ के महानगर थाना प्रभारी को 2 आईएएस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करना भारी पड़ गया. इस मामले में लापरवाही बरतने पर थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया है. थाना प्रभारी ने उच्च अधिकारियों को संज्ञान में लिए बिना ही 2 आईएएस अधिकारियों पर शनिवार को मुकदमा दर्ज किया था.
लखनऊ : राजधानी लखनऊ के महानगर थाना प्रभारी को 2 आईएएस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करना भारी पड़ गया. उन्होंने बिना उच्च अधिकारियों को संज्ञान में लिए बिना ही आईएएस अधिकारियों पर शनिवार को मुकदमा दर्ज किया था. इस मामले में लापरवाही बरतने पर थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया है. बता दें राज्य नियोजन विभाग में आवासीय विद्यालय में रैंकिंग के फर्जीवाड़े का मुकदमा थाने में दर्ज किया गया था. जिसमें 2 आईएएस अधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी और अंकित अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है.
आईएएस अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करना पड़ा भारी
महानगर के थाना प्रभारी यशवंत सिंह को 2 आईएएस अधिकारियों पर बिना उच्च अधिकारियों को बताए मुकदमा दर्ज करना भारी पड़ गया. शनिवार को उन्होंने राज्य नियोजन विभाग में आवासीय विद्यालय में रैकिंग फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज किया था. इस मुकदमे में आईएएस अधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी और अंकित अग्रवाल को आरोपी बनाया गया. वहीं निरीक्षक यशकांत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने मुकदमा दर्ज करने से पहले अपने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी, जो कि एक गंभीर लापरवाही को दर्शाता है. इसलिए पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने उन्हें लाइन हाजिर कर दिया और उनकी जगह आलमबाग से प्रदीप सिंह को तैनाती दी गई है.
'मुकदमा दर्ज किया तब पता चला कि आरोपी आईएएस हैं'
महानगर थाने में पीड़ित महिला की तहरीर पर निरीक्षक यशकांत सिंह ने राज्य नियोजन विभाग के रैकिंग फर्जीवाड़े में दो लोगों पर मुकदमा दर्ज किया. हालांकि अब ये बात सामने आ रही है कि उस समय उन्हें भी नहीं पता था कि वह जिस पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है वह आईएएस अधिकारी हैं. दूसरी तरफ जैसे ही मुकदमा दर्ज हुआ और सोशल मीडिया पर एफआईआर की कॉपी वायरल हुई, उसके बाद पता चला कि मुकदमे में आरोपी बनाए गए दोनों अधिकारी आईएएस अधिकारी हैं.