लखनऊः भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के विशेष जज अजय श्रीवास्तव (Judge Ajay Srivastava) ने एक युवक को झूठे मुकदमे में वांछित बताकर युवक के भाई को घर से रात में उठाने व सुबह उसे छोड़ने के लिए 50 हजार मांगने के मामले में दारोगा कुशलपाल सिंह व उसके साथी राजीव पाठक को दोषी करार दिया है. इसके साथ ही दोनों को हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दारोगा कुशलपाल पर 90 हजार व राजीव पाठक पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
इस मामले की एफआईआर 24 फरवरी 2011 को हरीराम भारद्वाज ने थाना गुड़म्बा में दर्ज कराई थी. आरोप था कि रात्रि साढ़ नौ बजे दारोगा कुशलपाल सिंह अपने साथियों के साथ हरीराम के घर पहुंचा. उस समय कुशलपाल सिंह कानपुर नगर में तैनात था. आरोप है कि कुशलपाल ने हरीराम से कहा कि तुम्हारे बेटे अभिनव भारद्वाज ने मेरे यहां अपराध किया है. उसे गिरफ्तार करना है. कहा गया कि उस समय अभिनव घर पर नहीं था. तब कुशलपाल ने उसके बड़े भाई विवेक को पकड़ लिया. इस पर हरीराम के पूछने पर कुशलपाल ने सिर्फ इतना कहा कि इसे सुबह लाऊंगा. कहा गया कि कुशलपाल दूसरे दिन सुबह विवेक को एक मार्शल गाड़ी से लेकर उसके घर पहुंचा और विवेक के पिता हरीराम से कहा कि अपने बेटे को जेल से बचाना चाहते हो तो 50 हजार रुपए लेकर डालीगंज क्रासिंग के पास पेट्रोल पम्प पर आ जाना.
हरीराम की इस सूचना पर थाना गुड़म्बा की पुलिस ने डालीगंज के पास पेट्रोल पंप से मार्शल गाड़ी पर बैठे कुशलपाल व अन्य को पकड़ लिया. पूछताछ में पता चला कि अभियुक्त ने विवेक के अलावा एक और लड़के रवि सिंह को भी पकड़ रखा है. उसे भी छोड़ने के एवज में उसके पिता राम मिलन सिंह से 50 हजार रुपये की मांग की है. राम मिलन ने 20 हजार रुपए दे भी दिए थे. तलाशी के दौरान यह रुपए कुशलपाल की जेब से बरामद हुए. साथ ही एक सरकारी पिस्टल मय कारतूस, दो हथकड़ी व एक पट्टा भी बरामद हुआ.शेष लोक अभियोजक महेश कुमार त्रिपाठी के मुताबिक विवेचना के बाद अभियुक्त दारोगा कुशलपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में भी आरोप पत्र दाखिल हुआ था.