लखनऊ : क्सीजन, दवा, जांच और विजिट जैसे मदों में बढ़ा चढ़ाकर मरीजों से कई गुना बिल वसूलने वाले निजी अस्पतालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रशासन अब ऐसे दागी अस्पतालों के लाइसेंस रद करने की संस्तुति कर सकता है. इसके लिए जल्द ही स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग से संपर्क कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा.
आपदा में अवसर तलाशा, जमकर की लूट-खसोट
निजी अस्पतालों ने मरीजों से लूट करने के लिए आपदा में भी अवसर तलाश लिया. इलाज के नाम पर जमकर लूट-खसोट की. प्रशासन ने निजी अस्पतालों को तीन श्रेणियों में बांटकर सभी अस्पतालों को प्रतिदिन के हिसाब से कितना चार्ज लेना है, यह भी निर्धारित कर दिया. इसके बावजूद नियम-कानून दरकिनार कर अनाप-शनाप बिल वसूले गए.
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नोडल अधिकारी ने पकड़े थे मामले
प्रभारी नोडल अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने स्वयं निरीक्षण कर कई अस्पतालों में वसूली को पकड़ा. सहारा और मेयो जैसे बड़े अस्पतालों में भी बिल से अधिक चार्ज करने की बातें सामने आयीं. मुख्य चिकित्सा अधिकारी इस मामले को दबाने की कोशिश करते रहे लेकिन नोडल अधिकारी की चेतावनी के बाद सीएमओ ने सन, मैक्वेन, जेपी और देविना अस्पताल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी है. वहीं, मेयो अस्पताल, मेट्रो, ओपी चौधरी और साई अस्पताल के खिलाफ निर्धारित शुल्क से अधिक लेने की जांच चल रही है.
मुख्यमंत्री के आदेश पर अमल का इंतजार
मरीजों से अधिक बिल वसूली में जिन अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें दर्ज हैं, उनमें कई बड़े अस्पताल शामिल है. इनका राजनीतिक रसूख भी किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री अपने आदेशों पर कितना अमल करा पाएंगे, इसका उन लोगों को भी इंतजार रहेगा जिनसे इन लोगों ने लूट की.