लखनऊः फ्लैटों की बिक्री नहीं होने से लखनऊ विकास प्राधिकरण की हालत खस्ती होती जा रही है. हालात यहां तक आ गये हैं कि कर्मचारियों के वेतन पर भी संकट मंडराने लगे हैं. एक मुश्त समाधान योजना का भी फायदा होता नहीं दिख रहा है. इसके बैंक खातों में करीब 25 करोड़ रुपये ही बचे हैं. जबकि देनदारी 40 करोड़ रुपये से ज्यादा की है. कर्मचारियों के वेतन पर ही हर महीने 10 करोड़ रुपये का खर्च है. ऐसी हालात को देखकर एलडीए सचिव पवन गंगवार ने फिलहाल नये कामों की फाइलें रोक दी हैं. उन्होंने प्राधिकरण की आय बढ़ाने के काम भी शुरू कराये हैं.
ओटीएस में 47 करोड़ ही जमा
एलडीए की आर्थिक स्थिति एक मुश्त समाधान योजना से संभली हुई है. ओटीएस में कुल 2,432 ने आवेदन किया है, जिनसे 168 करोड़ रुपये की डिमांड जारी की गयी है. इसमें से आवंटियों ने ही 47 करोड़ जमा किये हैं.
लॉक डाउन में प्रभावित हुआ काम
शहीद पथ के पास निर्माणाधीन शान ए अवध को नीलाम करने के बाद एलडीए को करीब 500 करोड़ रुपये मिले थे. इसके बाद कोविड-19 की वजह से कामकाज प्रभावित हो गया, तो नई बुकिंग भी नहीं मिल रही है. जिससे प्राधिकरण हर महीने 20 से से 30 करोड़ रुपये घाटे में जा रहा था.
टेंडर के नियम बदले
अब एलडीए के निकाले गये टेंडर में ज्यादा कम्पनियां भाग ले सकेंगी. इससे प्रतिस्पर्धा बढेगी. सचिव के मुताबिक एलडीए के नियमों में कुछ बदलाव किये गये हैं. जिससे एलडीए को फायदा होगा. ज्यादा कंपनियों के आने से निर्माण विकास का रेट कम होगा, साथ ही काम की गुणवत्ता के साथ प्राधिकरण की आय भी बढ़ेगी.