लखनऊ : गोमती नदी के किनारे स्थित लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर व मस्जिद प्रकरण में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से पोषणीयता के आधार पर हिन्दू पक्ष द्वारा दाखिल वाद को चुनौती देने वाली सिविल निगरानी याचिका को अपर जिला जज प्रफुल्ल कमल ने खारिज कर दिया है. अदालत ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) साउथ द्वारा पारित 25 सितंबर 2017 के आदेश की पुष्टि करते हुए अपने आदेश में कहा है कि लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से दाखिल सिविल वाद पोषणीय है तथा निचली अदालत को वाद की सुनवाई करने एवं निर्णय करने का पूर्ण क्षेत्राधिकार प्राप्त है.
अदालत ने कहा है कि पक्षकारों के तर्कों को सुनने के उपरांत प्रस्तुत निगरानी निरस्त की जाती है तथा विद्वान अवर न्यायालय द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश 25 सितम्बर 2017 के आदेश की पुष्टि की जाती है. निगरानी याचिका में पारित निर्णय की प्रति अवर न्यायालय को मूल पत्रावली के साथ अग्रिम सुनवाई के लिए वापस भेजी जाए. निचली अदालत के समक्ष मालिकाना हक को लेकर यह वाद वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं रंजना अग्निहोत्री द्वारा दाखिल किया गया था. जिसमें अंतिम बहस वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर निगम द्वारा की गई. राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) रितेश रस्तोगी एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय द्वारा पैरवी की गई.
पत्रावली के अनुसार वर्ष 2013 में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से सिविल जज जूनियर डिविजन (साउथ) लखनऊ की अदालत में एक नियमित वाद दायर किया गया था. जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य पक्षकार बनाए गए थे. निचली अदालत में दाखिल इस नियमित वाद में मांग की गई थी कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लॉर्ड शेष नागेश का मंदिर है, जिसको वहां पर एक समुदाय विशेष के लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया है. नियमित वाद के माध्यम से कहा गया था कि इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक उन्हें दिलाया जाए तथा पूजा अर्चना की भी अनुमति दी जाए.
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