लखनऊः जल, जमीन और जंगल का आपसी रिश्ता टूट रहा है. विकास के नाम पर मनमानी तरीके लैंड यूज बदला जा रहा है. भूजल रिचार्ज और उसके स्रोत का कनेक्शन टूट रहा है. इसके चलते भूजल संकट गहराता जा रहा है. इसको लेकर सभी को सतर्क होना होगा. इसके साथ ही सरकार को सख्त कानून लागू करना होगा.
सोमवार को राजधानी में एकीकृत जल प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें पर्यावरण और भूजल विज्ञानियों ने गहराते भू जल संकट पर चिंता जताई. इसके साथ ही स्थितियों से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना की आवश्यकता जताई. बीबीएयू के डॉक्टर वेंकटेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन के लिए सख्त कानून लागू करना होगा. इसके साथ ही नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो सके, इसके लिए एजेंसियों की भी जिम्मेदारी तय करनी होगी. उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर मनमानी तरीके से लैंड यूज बदले जा रहे हैं. इसके चलते जल, जमीन और जंगल का आपसी रिश्ता टूट रहा है, जो गिरते भूजल स्तर की एक बड़ी वजह बन रही है.
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डॉक्टर वेंकटेश के मुताबिक यूपी में तीन हजार के करीब छोटी नदियां हैं. वहीं 8 प्रमुख नदियां हैं. इसमें छोटी नदियां सीजनल हो गई हैं. बड़ी नदियों में बहाव 25 से 30 फीसदी तक पिछले 20 साल में घट गया है. भूजल और सतही जल की एकीकृत व्यवस्था न होने से कई इलाके डेंजर जोन में जा रहे हैं. वहीं मीठे जल का 85 फीसदी पानी कृषि में उपयोग हो रहा है. इसे 25 फीसदी तक जल्द कम करना होगा. मोटे अनाज वाली फसलों को उगाना होगा. वरना 2,050 तक जल संकट और बढ़ जाएगा. इस दौरान अन्य विशेषज्ञों ने भी भूजल स्तर सुधारने के सुझाव दिये हैं.