लखनऊ : उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद में बड़ा जमीन घोटाला सामने आया है. मुरादाबाद की मझोला योजना में करोड़ों रुपए की कमर्शियल संपत्ति जिसको नीलामी के जरिए भेजकर हाउसिंग बोर्ड बड़ी कीमत पा सकता था, तीन जिम्मेदार अफसरों ने उसमें खेलकर के बेस प्राइस पर ही बिल्डरों को बेच दिया. जिससे ना केवल आवास विकास परिषद को करोड़ों का नुकसान हुआ बल्कि माना जा रहा है कि जमकर मुट्ठी गर्म की गई. लंबे समय से जमीन का खेल कर रहे यह तीनों अफसर अधिकारियों के निशाने पर थे. आखिरकार इस मामले में इन पर कड़ी कार्रवाई कर दी गई है. निलंबन के बाद उच्च स्तरीय जांच की शुरुआत हो गई है. तीनों को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है. माना जा रहा है कि निकट भविष्य में इनके खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई होगी.
ज़मीन घोटाले में आवास विकास परिषद के तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया है. मुरादाबाद में परिषद की मझोला आवासीय योजना में करोड़ों रुपये की ज़मीन चहेतों को बेचने के लिए आरोपित अफसरों ने खेल किया था. नियमों के अनुसार व्यावसायिक ज़मीनों को ई नीलामी के माध्यम से बेचा जाना चाहिए था. तीनों अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को कम क़ीमत पर बेच दिया. संपत्ति प्रबंधक अमित शुक्ला, अधीक्षण अभियन्ता प्रमोद कुमार और उप आवास आयुक्त लक्ष्मण प्रसाद को निलम्बित किया गया है. तीनों अधिकारी पिछले कई साल से इसी तरह से बड़े-बड़े फ्लैटों में खेल करते रहे हैं. आवास विकास परिषद के एक अधिकारी ने बताया कि 'अब इनके खिलाफ बाकी मामलों की भी जांच होगी और कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन बिल्डरों पर भी एक्शन लिया जाएगा जिन्होंने बिना नीलामी के खेल करके इस जमीन को हासिल किया है.' वहीं इस मामले में प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जानकारी दी गई की कार्रवाई की गई है.
गौरतलब है कि आवास विकास परिषद में पूरे प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर बड़ी संख्या में व्यावसायिक भूखंड हैं. नियम यह है कि इन भूखंडों को ई नीलामी के माध्यम से बेचा जाए, ताकि ऊंची बोली लगने की दशा में आवास विकास परिषद को अच्छी कीमत मिले और लाभ हो, लेकिन अफसर ई नीलामी की जगह बिल्डरों को सीधे ही बेस प्राइस पर जमीन बेचकर लाभ कमा रहे थे. जिससे सरकार को भारी नुकसान हो रहा था. ऐसे ही मामले में यह कार्रवाई की गई है.