लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक पर्यटक झील का निर्माण किया जाना है. यह लखनऊ से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रहमान खेड़ा के दशहरी गांव में अंग्रेजों के जमाने के बने महंगा पुल पर यह झील बनवाया जाएगा. यह पर्यटक झील इस पुल के आकर्षण का केंद्र बनेगी. 35 बीघे और डेढ़ किलोमीटर से ज्यादा लंबी इस झील में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे. सरकार ने इस झील को बनाने की योजना को दे दी है. अधिकारी इसकी पैमाइश भी कर चुके हैं और अब जल्द ही झील का रास्ता खोल दिया जाएगा.
राजधानी में सबसे बड़े झील का निर्माण
लखनऊ से कुछ दूर दशहरी गांव में दशहरी आम खाने के शौकीन अब राजधानी की सबसे बड़ी आर्टिफिशियल झील का भी दीदार कर सकेंगे. झील के एक से दूसरे कोने तक तरह-तरह के फूल लगाए जाएंगे. रंग-बिरंगे गुलाब, रजनीगंधा, गेंदा, जरबेरा ग्लेडियोलस जैसे फूल झील की शोभा बढ़ाएंगे. वहीं झील के आसपास झूले भी लगेंगे.
इस तरह के आर्टिफिशियल झील पर पर्यटक सेल्फी लेना जरूर पसंद करेंगे. ऐसे में यहां पर सेल्फी प्वाइंट भी बनवाए जाएंगा. 30 तालाबों को जोड़कर ये झील बनाई जाएगी और इसका नाम दशहरी झील रखा जाएगा.
काकोरी शहीद स्मारक और मदर दशहरी ट्री का भी लोग उठाएंगे लुफ्त
खास बात यह है कि इसी दशहरी गांव में अंग्रेजों के जमाने का लखौरी ईटों से बना महंगा पुल भी स्थित है. इस पुल के नीचे से ही गुजरेगी दशहरी झील. काकोरी स्थित शहीद स्मारक तक यह झील जाएगी. जिला प्रशासन 30 तालाबों को मिलाकर झील का रूप देने का प्लान तैयार कर रहा है. एक और खास बात है कि इस झील के एक किनारे पर पर्यटकों को खासा लुभाने वाला काकोरी शहीद स्मारक है तो दूसरी तरफ सैकड़ों साल पुराना मदर दशहरी ट्री होगा. ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक एक ही जगह पर पर्यटन का पूरा लुत्फ उठा सकेंगे. एक्सप्रेस-वे को भी इस झील से जोड़ने की तैयारी की जा रही है.
30 तालाबों को मिलाकर बनाया गया झील
ग्राम प्रधान मनोज यादव ने कहा कि इस योजना का प्रयास 2016 से प्रयास चल रहा था. स्पर्श योजना के अंतर्गत 30 तालाब थे. 30 तालाबों का एक समूह बनाया गया है. समूह बनाने के बाद प्रमुख सचिव रेणुका कुमार को बुलाया और इसका नाम झील रख दिया गया.
इसके बाद दो करोड़ पांच लाख रुपये बजट पास हुआ लेकिन, सरकार बदलने से कार्यदाई संस्था ने काम बंद कर दिया है. योगी सरकार ने दोबारा इसका बजट बना दिया है. इसका सौंदर्यीकरण होना है. इसमें जो एस्टीमेट लिया गया है उसमें साइडों पर लेमन ग्रास, किनारों पर वृक्षारोपण, इंटरलॉकिंग और जगह-जगह सेल्फी प्वाइंट और पक्के घाट भी बनवाने का प्रावधान किया गया है. जो देश-विदेश से पर्यटक आते है वह पक्के घाट से नीचे उतरें और नाव में बैठकर नौका विहार कर जा सकेंगे. इस गांव का दशहरी आम का पेड़ ऐतिहासिक है और यह लगभग डेढ़ सौ से 200 साल पुराना होगा.
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