लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा सियासी गलियारों में तेज है. हालांकि अभी तक इसकी अधिकारी घोषणा भले ही ना हो हुई हो लेकिन इस चर्चा को प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में हिंदुत्व की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह दांव न केवल अयोध्या को देश में हिंदुत्व की राजनीति के केंद्र मिलाकर खड़ा कर रहा है बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे को और भी मजबूत करने वाला साबित होगा.
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संजय गुप्ता. लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के शिक्षक और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संजय गुप्ता कहते हैं कि अयोध्या भारतीय जनता पार्टी की आध्यात्मिक जन्मभूमि के साथ ही आध्यात्मिक कर्मभूमि भी है. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समय से ही भारतीय जनसंघ के मेनिफेस्टो में अयोध्या जन्मभूमि का एक विषय था. आज वो दिन आ गया है जब न केवल रामजन्म भूमि को मुक्त किया गया बल्कि इस पर भव्य मंदिर बनवाया जा रहा है.प्रो. संजय गुप्ता का कहना है कि अब योगी का अयोध्या से चुनाव लड़ना इस बात का संदेश है कि आध्यात्मिक के साथ ही एक विकास का भी एजेंडा है. क्योंकि जिस अयोध्या को इतने सालों तक एक राजनीतिक मुद्दा माना गया, उसी को आज विश्व के पटल पर भाजपा द्वारा सिरमौर बना दिया गया. यहां अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है. कई देशों ने अपने दूतावास और केंद्र वहां विकसित करने की तैयारियां कर ली है. बड़े-बड़े होटल आ रहे हैं, हाईवे बन रहा है. एक्सप्रेस वे के साथ कई सारे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आ रहे हैं. इससे यह संदेश भी दिया जा रहा है कि भाजपा के पास आध्यात्मिक या यूं कहें कि हिंदुत्व के साथ एक विकास का मॉडल भी है. इसे भी पढ़ें-UP Assembly Election : अयोध्या से ही लड़ेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, औपचारिक घोषणा बाकी
प्रो. संजय गुप्ता ने कहा कि अगर विशुद्ध राजनीति के तौर पर देखा जाए तो एक संदेश यह भी है कि एक और अयोध्या के माध्यम से जहां पूर्वांचल के मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई है. उन्हें एक सकारात्मक संदेश मिलेगा. वहीं पूरे उत्तर प्रदेश के हिंदुत्व को भी ओर खींचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि 'यह जो चर्चाएं चल रही थी कि योगी मथुरा या गोरखपुर से लड़ेंगे, उनको यह संदेश भी जा रहा है कि सीएम योगी अपने वचन को पूरा करने के साथ ही अयोध्या को राजनीतिक कर्मभूमि बना रहे हैं. जैसे मोदी जी ने बनारस को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया वैसे ही योगीजी ने अयोध्या को अपनी राजनीति का केंद्र बिंदु बनाया है.