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...जानिए किन 9 बिंदुओं पर एसआईटी ने की बिकरू कांड की जांच

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Published : Nov 5, 2020, 11:53 AM IST

यूपी के कानपुर जिले में हुए बिकरू कांड में एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. एसआईटी में नौ बिंदुओं पर इस मामले में जांच की थी.

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एसआईटी ने की बिकरू कांड की जांच

लखनऊ: कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. सात सौ पन्ने की मूल रिपोर्ट है, जबकि 2500 संलग्नक हैं. वहीं संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्य एसआईटी ने इस पूरे मामले की शासन द्वारा मांगे गए नौ बिंदुओं पर जांच की है.

एसआईटी की जांच रिपोर्ट के 9 बिंदु

कानपुर में दो जुलाई को बिकरू कांड के बाद 11 जुलाई को संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन हुआ था. इस एसआईटी टीम में डीआईजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जी रविंद्र गौड शामिल थे .शासन से मांगे गए 9 बिंदुओं के आधार पर एसआईटी ने पूरी जांच की है, जिसकी 3200 पन्नों की रिपोर्ट को शासन को सौंपा है. सूत्रों के हवाले से जिन बिंदुओं पर जांच हुई है वे निम्न हैं.

  1. विकास दुबे के के खिलाफ कितनी जन शिकायतें आईं और स्थानीय चौबेपुर थाना से लेकर जनपद के अधिकारियों ने इन मामलों में जांच कर क्या कार्रवाई की.
  2. विकास दुबे के खिलाफ कितने अभियोग पंजीकृत हैं और उस पर पुलिस और प्रशासन के द्वारा क्या कार्रवाई की गई. वहीं विकास दुबे के अपराधिक इतिहास होने के बावजूद भी उसके जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कार्रवाई की गई थी.
  3. विकास दुबे और उसके पूरे गैंग के लोगों पर गैंगेस्टर गुंडा एक्ट और एनएसए आदि नियमों के अंतर्गत क्या-क्या कार्रवाई की गई. इन मामलों में हुई लापरवाही किस स्तर की गई थी.
  4. विकास दुबे और उसके साथियों कि पिछले 1 साल के सीडीआर रिपोर्ट की जांच और उसके संपर्क में आए पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की दशा में कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा करना.
  5. दो जुलाई के दिन विकास दुबे के पास उपलब्ध हथियारों के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही किस स्तर पर हुई है. वहीं थाने में इसकी समुचित जानकारी भी नहीं पाई गई. इस तथ्य की जांच करना और दोषी को चिन्हित करना.
  6. विकास दुबे के द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति और आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण. वहीं सरकारी जमीनों पर कब्जे वहीं इस मामले में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही और संलिप्तता को प्रदर्शित करते हुए जांच .वहीं दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा करना.
  7. विकास दुबे और उसके साथियों के पास शस्त्र लाइसेंस की जानकारी. अपराधिक गतिविधियों से जुड़े होने के बाद भी किस तरह शस्त्र लाइसेंस दिए गए. इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट.
  8. विकास दुबे और उसके साथियों के द्वारा सरकारी और गैर सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जा किया गया. अवैध कब्जे को हटाने में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने क्या प्रयास किए गए . इसमें कौन-कौन से अधिकारी शामिल हैं .उनका क्या उत्तरदायित्व है. अवैध कब्जा हटाना जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी उन्होंने क्या किया. जांच में सुनिश्चित किया जाए.
  9. बिकरु कांड के अभियुक्तों के साथ पुलिस कर्मियों की संलिप्तता .वहीं अभियुक्तों की संपत्ति और आय के स्रोतों की जांच प्रवर्तन निदेशालय आयकर विभाग से कराने पर एसआईटी को सुझाव देना था.

    एसआईटी रिपोर्ट के बाद कितने दोषी अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

    बिकरु कांड के मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद सीधे तौर पर 80 अधिकारियों को दोषी पाया गया है, जिसमें 50 पुलिस के लोग शामिल हैं. वहीं एसआईटी की जांच के घेरे में पुलिस ,राजस्व, आपूर्ति, आबकारी के 100 से अधिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली है. फिलहाल विकास दुबे और उसके गिरोह के सदस्यों के मददगार रहे अधिकारियों और कर्मियों पर जल्द कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो सकता है.

लखनऊ: कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. सात सौ पन्ने की मूल रिपोर्ट है, जबकि 2500 संलग्नक हैं. वहीं संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्य एसआईटी ने इस पूरे मामले की शासन द्वारा मांगे गए नौ बिंदुओं पर जांच की है.

एसआईटी की जांच रिपोर्ट के 9 बिंदु

कानपुर में दो जुलाई को बिकरू कांड के बाद 11 जुलाई को संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन हुआ था. इस एसआईटी टीम में डीआईजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जी रविंद्र गौड शामिल थे .शासन से मांगे गए 9 बिंदुओं के आधार पर एसआईटी ने पूरी जांच की है, जिसकी 3200 पन्नों की रिपोर्ट को शासन को सौंपा है. सूत्रों के हवाले से जिन बिंदुओं पर जांच हुई है वे निम्न हैं.

  1. विकास दुबे के के खिलाफ कितनी जन शिकायतें आईं और स्थानीय चौबेपुर थाना से लेकर जनपद के अधिकारियों ने इन मामलों में जांच कर क्या कार्रवाई की.
  2. विकास दुबे के खिलाफ कितने अभियोग पंजीकृत हैं और उस पर पुलिस और प्रशासन के द्वारा क्या कार्रवाई की गई. वहीं विकास दुबे के अपराधिक इतिहास होने के बावजूद भी उसके जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कार्रवाई की गई थी.
  3. विकास दुबे और उसके पूरे गैंग के लोगों पर गैंगेस्टर गुंडा एक्ट और एनएसए आदि नियमों के अंतर्गत क्या-क्या कार्रवाई की गई. इन मामलों में हुई लापरवाही किस स्तर की गई थी.
  4. विकास दुबे और उसके साथियों कि पिछले 1 साल के सीडीआर रिपोर्ट की जांच और उसके संपर्क में आए पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की दशा में कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा करना.
  5. दो जुलाई के दिन विकास दुबे के पास उपलब्ध हथियारों के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही किस स्तर पर हुई है. वहीं थाने में इसकी समुचित जानकारी भी नहीं पाई गई. इस तथ्य की जांच करना और दोषी को चिन्हित करना.
  6. विकास दुबे के द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति और आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण. वहीं सरकारी जमीनों पर कब्जे वहीं इस मामले में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही और संलिप्तता को प्रदर्शित करते हुए जांच .वहीं दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा करना.
  7. विकास दुबे और उसके साथियों के पास शस्त्र लाइसेंस की जानकारी. अपराधिक गतिविधियों से जुड़े होने के बाद भी किस तरह शस्त्र लाइसेंस दिए गए. इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट.
  8. विकास दुबे और उसके साथियों के द्वारा सरकारी और गैर सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जा किया गया. अवैध कब्जे को हटाने में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने क्या प्रयास किए गए . इसमें कौन-कौन से अधिकारी शामिल हैं .उनका क्या उत्तरदायित्व है. अवैध कब्जा हटाना जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी उन्होंने क्या किया. जांच में सुनिश्चित किया जाए.
  9. बिकरु कांड के अभियुक्तों के साथ पुलिस कर्मियों की संलिप्तता .वहीं अभियुक्तों की संपत्ति और आय के स्रोतों की जांच प्रवर्तन निदेशालय आयकर विभाग से कराने पर एसआईटी को सुझाव देना था.

    एसआईटी रिपोर्ट के बाद कितने दोषी अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

    बिकरु कांड के मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद सीधे तौर पर 80 अधिकारियों को दोषी पाया गया है, जिसमें 50 पुलिस के लोग शामिल हैं. वहीं एसआईटी की जांच के घेरे में पुलिस ,राजस्व, आपूर्ति, आबकारी के 100 से अधिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली है. फिलहाल विकास दुबे और उसके गिरोह के सदस्यों के मददगार रहे अधिकारियों और कर्मियों पर जल्द कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो सकता है.
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