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जानिए...पैरालिसिस अटैक आने के कारण, क्या इलाज भी है संभव ?

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Published : Apr 18, 2021, 6:24 AM IST

शरीर की मांसपेशियों में आई अस्थिरता को पैरालिसिस कहते हैं. इस अवस्था में शरीर की कुछ मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं. पैरालिसिस या लकवा की समस्या 'नर्वस सिस्टम' में आई शिथिलता से पैदा होती है, जो आगे चलकर पैरालिसिस का रूप लेता है. पैरालिसिस शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है. आइए डॉक्टर से जानते हैं पैरालिसिस अटैक और ब्रेन ट्यूमर से बचाव के प्रभावी कदम क्या हैं.

जानें पैरालिसिस अटैक आने का कारण
जानें पैरालिसिस अटैक आने का कारण

लखनऊ: हमारे आसपास या फिर हमारे सगे संबंधियों में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें पैरालिसिस का अटैक आ चुका है या वो इससे उबर चुके हैं. इस गंभीर बीमारी के चपेट में आए लोग कम उम्र में ही चलने फिरने में असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन पैरालिसिस अटैक आने की वजह क्या है? बहुत से लोग जिन्हें नहीं मालूम कि पैरालिसिस अटैक आने के पीछे की आखिर वजह क्या होती है. इस संबंध में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (लखनऊ) के न्यूरोसर्जन डॉक्टर कुलदीप ने पैरालिसिस अटैक आने के कारण और बचाव पर प्रकाश डाला है. डॉक्टर कुलदीप के मुताबिक स्ट्रोक यानी रक्त वाहिकाओं के फटने से मस्तिष्क के अंदर रक्त स्राव हो जाता है, जिसके कारण लोगों को पैरालिसिस का अटैक आता है.

सुनें क्या कहते हैं डॉक्टर.
जानें क्या है स्ट्रोक

डॉक्टर कुलदीप बताते हैं कि स्ट्रोक को ब्रेन आघात भी कहते हैं. ब्रेन स्ट्रोक यानी मस्तिष्क का दौरा होता है. दिमाग के किसी भाग में खून का प्रवाह रुक जाने, थक्का जमने या खून का दबाव बढ़ने के कारण रक्त वाहिका फटने से ब्रेन हेमरेज होता है. इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और वे प्रभावित होने लगती हैं. इस कारण उस हिस्से का मस्तिष्क ढंग से काम करना बंद कर देता है.

क्या होता है ब्रेन ट्यूमर
वहीं ब्रेन ट्यूमर के बारें में डॉक्टर कुलदीप का कहना है कि इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में मस्तिष्क का ट्यूमर कहते हैं. यह असमान कोशिकाओं का वह समूह होता है, जो अनियंत्रित तरीके से अपने आकार में वृद्धि करता है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाता है और बाद में कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के रूप में भी परिवर्तित हो सकता है. कुल मिलाकर मस्तिष्क में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं और इससे जो गांठ बन जाती है, उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उससे आसपास के ऊतकों में ही शुरू होता है, लेकिन मेटास्टेटिस ब्रेन ट्यूमर शरीर के किसी अन्य हिस्से से शुरू होता है और मस्तिष्क तक खून के माध्यम से फैल जाता है.


आइए जानते हैं स्ट्रोक और ट्यूमर में अंतर

ब्रेन स्ट्रोक ब्रेन ट्यूमर
अचानक सिर में तेज दर्द होनाब्रेन ट्यूमर में मरीज को कभी भी अचानक से तेज दर्द नहीं होता है. ट्यूमर में पीड़ित को हल्का-हल्का दर्द हमेशा बना रहता है.
अचानक से शरीर के अंगों में कमजोरी आनाट्यूमर में अचानक कमजोरी नहीं आती है. कमजोरी धीरे-धीरे आती है.
पैरालिसिस अटैक आना, जिसमें चेहरे का टेढ़ापन, आवाज न निकलना, संवेदना की कमी, मल-मूत्र का छूट जाना. प्रभावित हिस्से का मस्तिष्क ढंग से काम करना बंद कर देता है. बार-बार सिरदर्द, सिरदर्द का धीरे-धीरे गंभीर हो जाना भी इसका संकेत है. असहनीय दर्द की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.
स्ट्रोक में यह तय है कि अगर सही समय पर इलाज न मिले तो मरीज को पैरालिसिस अटैक आ जाता है. ब्रेन ट्यूमर में यह तय नहीं है कि व्यक्ति को पैरालिसिस अटैक आएगा ही.
सही समय पर इलाज मिलने पर स्ट्रोक को जड़ से समाप्त किया जा सकता है.ब्रेन ट्यूमर निकालने के बाद भी मरीज को दोबारा से ट्यूमर हो सकता है.


डॉक्टर कुलदीप का कहना है कि ट्यूमर क्यों बनता है आज तक यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन स्ट्रोक के बनने का कारण रक्तवाहिकाओं का फटना होता है. सिर्फ चेहरे पर लकवे का असर होना फेशियल पेरेलिसिस कहलाता है. इसमें सिर, नाक, होंठ, ठुडडी, माथा, आंखें तथा मुंह स्थिर होकर मुख प्रभावित होता है और स्थिर हो जाता है.

इसे भी पढे़ं-कोरोना का दोहरा कहर, जानिए कितना खतरनाक है डबल म्यूटेंट वायरस


इन अस्पतालों में होता है स्ट्रोक का ट्रीटमेंट

राजधानी लखनऊ स्थित लोहिया और केजीएमयू हॉस्पिटल में ब्रेन स्ट्रोक का इलाज होता है. लोहिया अस्पताल में इसके इलाज के लिए स्ट्रोक रेडी सेंटर बना है. डॉक्टर ने बताया कि अगर स्ट्रोक के 5 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं तो दुर्भाग्यवश उनमें से चार मरीजों को बचाना मुश्किल होता है. स्ट्रोक से बचने के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत है.

इसे भी पढ़ें - टीकाकरण के लिए राज्य नहीं कर पा रहे निजी अस्पतालों का उपयोग : AHPI

स्ट्रोक से बचाव
डॉक्टर कुलदीप ने बताया कि जब ट्यूमर होने का कारण स्पष्ट नहीं है तो इसके बचाव भी निर्धारित नहीं हैं. हालांकि स्ट्रोक का बचाव संभव है. आप इस तरह से स्ट्रोक से बच सकते हैं-

  • गर्मियों में पानी ज्यादा पियें.
  • वसा का सेवन कम करें.
  • सिगरेट, शराब और ड्रग्स का सेवन न करें.
  • उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों का इलाज कराते रहें.
  • एक्सरसाइज करें.
  • तनावमुक्त रहें.
  • सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में समंजस्य बनाकर रखें.

लखनऊ: हमारे आसपास या फिर हमारे सगे संबंधियों में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें पैरालिसिस का अटैक आ चुका है या वो इससे उबर चुके हैं. इस गंभीर बीमारी के चपेट में आए लोग कम उम्र में ही चलने फिरने में असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन पैरालिसिस अटैक आने की वजह क्या है? बहुत से लोग जिन्हें नहीं मालूम कि पैरालिसिस अटैक आने के पीछे की आखिर वजह क्या होती है. इस संबंध में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (लखनऊ) के न्यूरोसर्जन डॉक्टर कुलदीप ने पैरालिसिस अटैक आने के कारण और बचाव पर प्रकाश डाला है. डॉक्टर कुलदीप के मुताबिक स्ट्रोक यानी रक्त वाहिकाओं के फटने से मस्तिष्क के अंदर रक्त स्राव हो जाता है, जिसके कारण लोगों को पैरालिसिस का अटैक आता है.

सुनें क्या कहते हैं डॉक्टर.
जानें क्या है स्ट्रोक

डॉक्टर कुलदीप बताते हैं कि स्ट्रोक को ब्रेन आघात भी कहते हैं. ब्रेन स्ट्रोक यानी मस्तिष्क का दौरा होता है. दिमाग के किसी भाग में खून का प्रवाह रुक जाने, थक्का जमने या खून का दबाव बढ़ने के कारण रक्त वाहिका फटने से ब्रेन हेमरेज होता है. इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और वे प्रभावित होने लगती हैं. इस कारण उस हिस्से का मस्तिष्क ढंग से काम करना बंद कर देता है.

क्या होता है ब्रेन ट्यूमर
वहीं ब्रेन ट्यूमर के बारें में डॉक्टर कुलदीप का कहना है कि इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में मस्तिष्क का ट्यूमर कहते हैं. यह असमान कोशिकाओं का वह समूह होता है, जो अनियंत्रित तरीके से अपने आकार में वृद्धि करता है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाता है और बाद में कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के रूप में भी परिवर्तित हो सकता है. कुल मिलाकर मस्तिष्क में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं और इससे जो गांठ बन जाती है, उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उससे आसपास के ऊतकों में ही शुरू होता है, लेकिन मेटास्टेटिस ब्रेन ट्यूमर शरीर के किसी अन्य हिस्से से शुरू होता है और मस्तिष्क तक खून के माध्यम से फैल जाता है.


आइए जानते हैं स्ट्रोक और ट्यूमर में अंतर

ब्रेन स्ट्रोक ब्रेन ट्यूमर
अचानक सिर में तेज दर्द होनाब्रेन ट्यूमर में मरीज को कभी भी अचानक से तेज दर्द नहीं होता है. ट्यूमर में पीड़ित को हल्का-हल्का दर्द हमेशा बना रहता है.
अचानक से शरीर के अंगों में कमजोरी आनाट्यूमर में अचानक कमजोरी नहीं आती है. कमजोरी धीरे-धीरे आती है.
पैरालिसिस अटैक आना, जिसमें चेहरे का टेढ़ापन, आवाज न निकलना, संवेदना की कमी, मल-मूत्र का छूट जाना. प्रभावित हिस्से का मस्तिष्क ढंग से काम करना बंद कर देता है. बार-बार सिरदर्द, सिरदर्द का धीरे-धीरे गंभीर हो जाना भी इसका संकेत है. असहनीय दर्द की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.
स्ट्रोक में यह तय है कि अगर सही समय पर इलाज न मिले तो मरीज को पैरालिसिस अटैक आ जाता है. ब्रेन ट्यूमर में यह तय नहीं है कि व्यक्ति को पैरालिसिस अटैक आएगा ही.
सही समय पर इलाज मिलने पर स्ट्रोक को जड़ से समाप्त किया जा सकता है.ब्रेन ट्यूमर निकालने के बाद भी मरीज को दोबारा से ट्यूमर हो सकता है.


डॉक्टर कुलदीप का कहना है कि ट्यूमर क्यों बनता है आज तक यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन स्ट्रोक के बनने का कारण रक्तवाहिकाओं का फटना होता है. सिर्फ चेहरे पर लकवे का असर होना फेशियल पेरेलिसिस कहलाता है. इसमें सिर, नाक, होंठ, ठुडडी, माथा, आंखें तथा मुंह स्थिर होकर मुख प्रभावित होता है और स्थिर हो जाता है.

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इन अस्पतालों में होता है स्ट्रोक का ट्रीटमेंट

राजधानी लखनऊ स्थित लोहिया और केजीएमयू हॉस्पिटल में ब्रेन स्ट्रोक का इलाज होता है. लोहिया अस्पताल में इसके इलाज के लिए स्ट्रोक रेडी सेंटर बना है. डॉक्टर ने बताया कि अगर स्ट्रोक के 5 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं तो दुर्भाग्यवश उनमें से चार मरीजों को बचाना मुश्किल होता है. स्ट्रोक से बचने के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत है.

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स्ट्रोक से बचाव
डॉक्टर कुलदीप ने बताया कि जब ट्यूमर होने का कारण स्पष्ट नहीं है तो इसके बचाव भी निर्धारित नहीं हैं. हालांकि स्ट्रोक का बचाव संभव है. आप इस तरह से स्ट्रोक से बच सकते हैं-

  • गर्मियों में पानी ज्यादा पियें.
  • वसा का सेवन कम करें.
  • सिगरेट, शराब और ड्रग्स का सेवन न करें.
  • उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों का इलाज कराते रहें.
  • एक्सरसाइज करें.
  • तनावमुक्त रहें.
  • सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में समंजस्य बनाकर रखें.
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