लखनऊ: पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, कई राज्यों में राज्यपाल रहे सुरजीत सिंह बरनाला यह कुछ ऐसे नाम हैं, जिनका सीधा ताल्लुक राजधानी के लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज से है. देश को ऐसे ही कई नगीने देने वाला यह ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज इस समय विवादों में घिरा हुआ है. यहां का मैनेजर कौन? इस पर विवाद शुरू हो गया है. दो-दो दावेदार खड़े हैं. दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं, लेकिन इस विवाद का सीधा असर शिक्षण संस्थान पर पढ़ रहा है. ईटीवी भारत ने बुरे दौर से गुजर रहे इस शिक्षण संस्थान के अभी तक चल रहे इस विवाद का सच जानने के लिए जांच-पड़ताल की.
अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त है विद्यालय
लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज शहर का अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त विद्यालय है. इसका संचालन मेथाडिस्ट चर्च के अधीन किया जाता है. चर्च के पूर्व बिशप फिलिप मसीह का निधन बीते अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण के चलते हो गया था, जिसके बाद यह विवाद खुलकर सामने आया है. कॉलेज की प्रबंध समिति के दो-दो दावेदार सामने आए हैं. इसमें एक पक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर आरआर लायल का है. अभी तक यह ही क्रिश्चियन कॉलेज के प्रबंधक पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. वहीं दूसरा पक्ष लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल अणिमा रिसाल सिंह का है.
पहले दावेदार- प्रोफेसर आरआर लायल
प्रोफेसर आरआर लायल का दावा है कि वह लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के सेक्रेटरी और प्रबंधक हैं. उनका आरोप है कि कुछ बाहरी तत्वों ने इस कॉलेज को कब्जाने के लिए कुछ दिन पहले षड्यंत्र शुरू किया. सोसाइटी चिट फंड कार्यालय को गुमराह करके प्रबंध समिति का सशर्त अनुमोदन प्राप्त किया गया है. उनकी मानें तो मेथोडिस्ट चर्च के बिशप भी उनके साथ खड़े हैं. बिशप की ओर से उन्हें इस मुद्दे को अलग-अलग मंचों पर रखने के लिए अधिकृत किया गया है.
दूसरे दावेदार- अणिमा रिसाल सिंह
अणिमा रिसाल सिंह वर्तमान में लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल हैं. ईटीवी भारत में उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से शहर में न होने के कारण बात कर पाने में असमर्थता जताई गई. हालांकि क्रिश्चियन कॉलेज की वर्तमान प्रिंसिपल डॉ. प्रोन्नति सिंह का कहना है कि अणिमा रिसाल सिंह को लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रबंधक के रूप में स्वीकार किया है. ऐसे में अब किसी तरह के संशय की स्थिति नहीं है. वर्तमान में वह प्रिंसिपल है और अणिमा रिसाल सिंह प्रबंधक हैं.
ऐसे शुरू हुआ विवाद
लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में मौजूदा विवाद बीते अप्रैल में शुरू हुआ. यहां के निवर्तमान बिशप फिलिप मसीह को कोरोना संक्रमण के चलते 28 मार्च के आसपास इलाज के लिए लखनऊ के एरा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 31 मार्च को डिप्टी रजिस्टर फॉर्म्स, सोसाइटी एंड चिप्स लखनऊ डिवीजन की ओर से बिशप फिलिप मसीह को पत्र भेजा जाता है. पत्र में मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों की संशोधित सूची को भी शामिल किया गया. इसमें अणिमा रिसाल सिंह का नाम सचिव/ प्रबंधक के तौर पर दर्शाया गया. इसके बाद से ही विवाद की स्थिति खड़ी हुई. डिप्टी रजिस्ट्रार फॉर्म्स, सोसाइटी एंड चिप्स लखनऊ डिवीजन ने कुछ शर्तों के साथ अणिमा रिसाल सिंह की समिति का अनुमोदन कर दिया.
डिप्टी रजिस्ट्रार फॉर्म्स, सोसाइटी एंड चिप्स लखनऊ डिवीजन के पत्र को आधार बनाकर 16 जुलाई को लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव की ओर से अणिमा रिसाल सिंह की समिति को अनुमोदन दे दिया गया. 4 अगस्त को इस प्रकरण की डिप्टी रजिस्ट्रार फॉर्म्स, सोसाइटी एंड चिप्स लखनऊ डिवीजन के समक्ष सुनवाई थी, लेकिन एक पक्ष की ओर से आपत्ति उठाई जाने के बाद इसे टाल दिया गया.
1862 में रखी गई थी कॉलेज की नींव
राजधानी में लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज की स्थापना 1862 में की गई थी. इसका इतिहास 160 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है, जिसका संचालन लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज सोसाइटी की तरफ से किया जाता है. स्थापना की शुरुआती दिनों में यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित था. 1857 में सेंटेनियल स्कूल और 1912 में रीच क्रिश्चियन इंटरमीडिएट कॉलेज की स्थापना की गई. 1889 में कॉलेज को कला और विज्ञान में डिग्री कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी गई. पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, कई राज्यों के राज्यपाल रहे सुरजीत सिंह बरनाला, वर्तमान नेताओं में शिवपाल सिंह यादव, पूर्व सांसद अरुण नेहरू, शायर फिराक गोरखपुरी, पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी जैसे कई बड़े नाम इस ऐतिहासिक कॉलेज के पूर्व छात्रों की सूची में शामिल हैं.