लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George Medical University) के डॉक्टरों को सम्मानित करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने सोमवार शाम डॉक्टरों की लिस्ट जारी कर दिया है. ईटीवी भारत (ETV Bharat) ने टॉप 4 डॉक्टरों से बातचीत की. जिसमें डॉक्टरों ने कहा कि ऐसा लग रहा है कोई बरसों की तमन्ना पूरी हो गई है. यही एक डॉक्टर की कमाई और असली पूंजी है. इस दौरान टॉपर्स ने कहा कि आगे चलकर हमें लोगों की और मदद करनी है. अगर हमारे पास कोई इलाज के लिए आता है तो उसे बेहतर इलाज देना है.
'रिसर्च के क्षेत्र में करना है काम'
डॉक्टर अहमद उजैर (चांसलर मेडल विनर) ने बताया कि केजीएमयू का प्रतिष्ठित मेडल पाकर बेहद खुशी हो रही है. मेहनत का फल मिलता है तो अच्छा लगता है. मेरे पैरेंट्स डॉक्टर मौलाना मोहम्मद अंसारी मां डॉक्टर शाहला हलीम और नाना डॉक्टर अब्दुल हलीम भी डॉक्टर है. घर में हर कोई डॉक्टर ही है. इसीलिए उनसे ही प्रेरणा लेते हुए मैने भी डॉक्टर बनने का फैसला लिया और एमबीबीएस 2016 बैच में ज्वाइन किया. मेरे 40 से अधिक शोधपत्र छप चुके हैं. इसलिए रिसर्च के क्षेत्र में ही आगे जाना है. उसी के तहत न्यूरो सर्जरी में रिसर्च का काम करने के लिए ड्रग्स मेडिकल स्कूल में जॉब मिल गई है. रिसर्च वर्क के लिए न्यूजर्सी यूएस में जाना होगा.
'सर्जरी में जाना है आगे'
डॉक्टर आकांक्षा सिंह, डॉक्टर आरएमएल मेहरोत्रा (मेमोरियल गोल्ड मेडल) ने बताया कि मेडल मिलने के बारे में जानकारी पर बहुत खुशी हो रही है. अपने सीनियर ने जैसा बताया वैसे ही प्रिपेयर किया. मुझे सर्जरी सबसे ज्यादा पसंद है. उसी में आगे चलकर फ्यूचर बनाना है. मिडिल क्लास फैमिली से हूं. सात साल की उम्र मे पिता का साया उठ गया. जिसके बाद मां और नाना ने पाला. राजधानी के आलमबाग से हूं. मां डीआरएम में ऑफिस सुपरिटेंडेंट और नाना आरपीएफ से रिटायर्ड है. मेरा बड़ा भाई है वो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है.
'बचपन के सपने को किया पूरा'
डॉक्टर नीलम चौहान, डॉक्टर बीआर अग्रवाल (मेमोरियल गोल्ड मेडल) ने बताया कि मेरा बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था. घर में कोई भी सदस्य डॉक्टर नहीं है. मेरी मदर हाउसवाइफ और फादर बैंक से रिटायर्ड है. फिलहाल केजीएमयू में ही रहकर काम करना है. आगे चलकर प्लास्टिक सर्जन के तौर पर खुद को स्थापित करना है. मेरे पति भी केजीएमयू में ही डॉक्टर है.
'इलाज कर दूसरों की मदद करने का मकसद'
डॉक्टर नीति सोलंकी, डॉ. टीएन चावला (गोल्ड मेडल डेंसिस्ट्री) ने बताया कि मेरा बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था. बड़े होकर एमबीबीएस की तैयारी की, लेकिन डेंटल में सीट मिली. इंटर्नशिप में काम किया तो मन लग गया क्योंकि जब आपका पेशेंट ठीक होकर जाता तो आपको बड़ी संतुष्टि मिलती है. इसीलिए प्रास्थोडेंटिस्ट्री में काम कर रही हूं. मैं अपने घर की पहली डॉक्टर हूं. मां हाउस वाइफ और फादर बिजनेसमैन. चूंकि मैं अभी सीनियर रेजिडेंट हूं इसलिए अपने एचओडी के अंडर स्लीप एपनिया में काम करना है. फिलहाल केजीएमयू में रहकर ही काम करना है. मेडल मिलकर बेहद खुशी हो रही है.
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