लखनऊ : ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के 70 सुरक्षाकर्मियों को रातों-रात बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रशासन व सुरक्षा कर्मियों के बीच विवाद की स्थिति बन गई. सुरक्षाकर्मी विश्वविद्यालय छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
उनका कहना है कि जैम के सरकारी पोर्टल के जरिए उमारा चयन एक वर्ष के लिए हुआ था लेकिन उन्हें साढ़े तीन महीने की सेवा के बाद ही कार्य मुक्त कर दिया गया. इसके लिए कोई अग्रिम सूचना भी नहीं दी गई.
सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि हम सभी सुरक्षाकर्मियों को सिर्फ एक पत्र दिया गया है जिसमें लिखा है कि आप कल से सुरक्षा व्यवस्था के कार्य से मुक्त होते हैं. कहा कि ऐसे में उनके परिवार का पालन पोषण कैसे होगा.
दरअसल, लखनऊ स्थित भाषा विश्वविद्यालय में रातों-रात 70 गार्डों को कार्यमुक्त कर दिया गया. यह आदेश कुलसचिव कार्यालय की ओर से जारी किया गया है. इसमें सुरक्षाकर्मियों को तत्काल प्रभाव विश्वविद्यालय परिसर खाली करने को कहा गया है.
ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी के बीच तनाव बरकरार हैं. सुरक्षाकर्मी विश्वविद्यालय छोड़ने को तैयार नहीं है. दूसरी ओर भूतपूर्व सैनिक कल्याण निगम के कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय में अपनी सेवा शुरू कर दी है. औपचारिक रूप से वर्तमान सुरक्षा एजेंसी ने उनको कार्यभार नहीं सौंपा है.
इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजय कुमार से बात की गई. उन्होंने बताया कि वर्तमान सुरक्षा एजेंसी का चयन गलत मानकों के आधार पर हो गया था. इसके बाद जानकारी होने पर इन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया है. तात्कालिक सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए इनकी जगह पर कार्य एक सरकारी एजेंसी को सौंप दिया गया है.
इस तरह किया गया था सुरक्षाकर्मियों का चयन
बता दें कि अभी तक तैनात ड्रोव सिक्योरिटी सलूशन प्राइवेट लिमिटेड का चयन जैम सरकारी पोर्टल के जरिए लॉटरी सिस्टम से किया गया था. करीब साढ़े तीन माह बीत जाने के बाद अचानक कंपनी के खिलाफ एक्सन लिया गया. बताया गया कि इस सिक्योरिटी एजेंसी का चैन रूल एल टूल का प्रयोग नहीं किया गया है. इसे लेकर इस सिक्योरिटी एजेंसी को निरस्त किया गया.
दूसरी तरफ तत्काल सुरक्षा को देखते हुए एक भूतपूर्व सैनिक की सिक्योरिटी एजेंसी को सुरक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई. इसके चलते इससे पहले तैनात सिक्योरिटी एजेंसी के मैनेजर व उनके कर्मचारियों में असंतोष देखने को मिल रहा है. इसको लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन का विरोध कर रहे हैं.
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मामले में कुलसचिव संजय कुमार का कहना है कि सिक्योरिटी एजेंसी के चयन में अनियमितता बरती गई है. इसे ध्यान में रखते हुए सिक्योरिटी एजेंसी को कार्यमुक्त कर दिया गया है. वहीं, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दूसरी सिक्योरिटी एजेंसी को भाषा विश्वविद्यालय में तैनात किया गया है.
बताया कि सिक्योरिटी एजेंसी के चयन के दौरान कमेटी की तरफ से अनियमितता पर ध्यान नहीं दिया गया था. इसके बारे लंबे समय बाद जानकारी मिली जिसे संज्ञान में लेकर त्वरित कार्रवाई की गई है.
वहीं, सिक्योरिटी मैनेजर मोहम्मद अहमद ने बताया कि सिक्योरिटी में काम करने वाले लोगों का कोई दोष नहीं है. ऊपर बैठे जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते आज उन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. इससे 70 परिवार प्रभावित हो रहे हैं. कहा कि उनका चयन एक वर्ष के लिए किया गया था. साढे़ तीन माह के बाद ही कार्य मुक्त कर दिया गया. यह मानकों के विरुद्ध है. इसे लेकर कोई नोटिस भी नहीं दी गई.
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