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Lucknow News: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 110 मेधावियों को मेडल, 890 को डिग्री मिली

ख्वाजा मोइन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय (Khwaja Moin Chishti Language University) सातवें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मेडल देकर छात्र-छात्राओं को पदक से नवाजा है.

कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल
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Published : Mar 1, 2023, 4:42 PM IST

लखनऊः ख्वाजा मोइन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह बुधवार को आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल एवं विवि की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने किया. समारोह में पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री बतौर मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय मौजूद रहे.

कार्तिकेय तिवारी को मिला कुलपति पदकः इस दीक्षांत समारोह में अरबी विभाग की बीए ऑनर्स अरबी में प्रथम स्थान हासिल करने वाली नूर फातिमा (93.29 फीसदी) को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक एवं कुलाधिपति पदक से नवाजा गया. दीक्षांत समारोह में 890 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई. साथ ही 47 छात्र एवं 63 छात्राओं को 110 स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्रदान किए गए. विश्वविद्यालय की परीक्षा नियंत्रक डॉ. भावना मिश्रा के अनुसार 110 पदकों में एक ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक, एक कुलाधिपति पदक, एक कुलपति पदक दिए गये. इसके साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों में 27 स्वर्ण , 21 रजत, 19 कांस्य दिया गया. वहीं, परास्नातक पाठ्यक्रमों में 17 स्वर्ण, 13 रजत एवं 13 कांस्य पदक दिए गए. शिक्षाशास्त्र विभाग के बीएड में प्रथम स्थान पाने वाले कार्तिकेय तिवारी (87.85 फीसदी) को कुलपति पदक दिया गया.

सभी भाषाएं एक दूसरे की पूरकः समारोह में मुख्य अतिथि पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भारत हमेशा विभिन्न भाषाओं का देश रहा है एवं सभी भाषाएं एक दूसरे की पूरक रही हैं. सभी भारतीय भाषाओं में हमने अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों से उनके भविष्य के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भाषा से संबंधित उनकी शंकाओं का समाधान करना हर शिक्षण संस्थान का दायित्व है. उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा समिति का अध्यक्ष होने के नाते मेरे लिए यह सुखद अनुभूति है कि इस विश्वविद्यालय के नाम में भाषा शब्द जुड़ा हुआ है. इसकी स्थापना विभिन्न भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष तौर पर किया गया है. हम सब इससे सहमत होंगे कि विश्वविद्यालयों में जो विद्यार्थी आते हैं. वह विभिन्न भाषाओं में अपनी शिक्षा लेकर जाते हैं. उनके चिंतन की मौलिक अभिव्यक्ति उनकी अपनी भाषा से सबसे सस्ती होती है. उस शिक्षा के दौरान भी चिंतन में कोई व्यवधान न आए. इसलिए विश्वविद्यालय स्तर पर उनके शिक्षा की भाषा का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.

यह भी पढ़ें- सीएम योगी ने विपक्ष पर कसा तंज, बोले-हर समस्या के दो समाधान, भाग लो या भाग लो

लखनऊः ख्वाजा मोइन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह बुधवार को आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल एवं विवि की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने किया. समारोह में पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री बतौर मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय मौजूद रहे.

कार्तिकेय तिवारी को मिला कुलपति पदकः इस दीक्षांत समारोह में अरबी विभाग की बीए ऑनर्स अरबी में प्रथम स्थान हासिल करने वाली नूर फातिमा (93.29 फीसदी) को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक एवं कुलाधिपति पदक से नवाजा गया. दीक्षांत समारोह में 890 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई. साथ ही 47 छात्र एवं 63 छात्राओं को 110 स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्रदान किए गए. विश्वविद्यालय की परीक्षा नियंत्रक डॉ. भावना मिश्रा के अनुसार 110 पदकों में एक ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक, एक कुलाधिपति पदक, एक कुलपति पदक दिए गये. इसके साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों में 27 स्वर्ण , 21 रजत, 19 कांस्य दिया गया. वहीं, परास्नातक पाठ्यक्रमों में 17 स्वर्ण, 13 रजत एवं 13 कांस्य पदक दिए गए. शिक्षाशास्त्र विभाग के बीएड में प्रथम स्थान पाने वाले कार्तिकेय तिवारी (87.85 फीसदी) को कुलपति पदक दिया गया.

सभी भाषाएं एक दूसरे की पूरकः समारोह में मुख्य अतिथि पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भारत हमेशा विभिन्न भाषाओं का देश रहा है एवं सभी भाषाएं एक दूसरे की पूरक रही हैं. सभी भारतीय भाषाओं में हमने अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों से उनके भविष्य के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भाषा से संबंधित उनकी शंकाओं का समाधान करना हर शिक्षण संस्थान का दायित्व है. उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा समिति का अध्यक्ष होने के नाते मेरे लिए यह सुखद अनुभूति है कि इस विश्वविद्यालय के नाम में भाषा शब्द जुड़ा हुआ है. इसकी स्थापना विभिन्न भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष तौर पर किया गया है. हम सब इससे सहमत होंगे कि विश्वविद्यालयों में जो विद्यार्थी आते हैं. वह विभिन्न भाषाओं में अपनी शिक्षा लेकर जाते हैं. उनके चिंतन की मौलिक अभिव्यक्ति उनकी अपनी भाषा से सबसे सस्ती होती है. उस शिक्षा के दौरान भी चिंतन में कोई व्यवधान न आए. इसलिए विश्वविद्यालय स्तर पर उनके शिक्षा की भाषा का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.

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