लखनऊ : 50 से 60% केसों में गुर्दा फेल होने का बड़ा कारण है कि लोग डायबिटीज और हाइपरटेंशन बीमारियों में जांच और दवाएं नियमित रूप से लेने में लापरवाही बरतते हैं. इसलिए जो व्यक्ति इन बीमारियों से ग्रसित हैं वह निरंतर अंतराल पर अपनी ब्लड शुगर, पेशाब की जांच और किडनी फंक्शन टेस्ट कराते रहें और चिकित्सकों के परामर्श से अपनी दवाई लेते रहें. यह जानकारी विश्व गुर्दा दिवस पर के उपलक्ष्य में यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में शनिवार को आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने उपस्थित मरीजों व परिजनों को दी.
विशेषज्ञों ने बताया कि गुर्दा फेल होने का दूसरा प्रमुख कारण बिना डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक व नेफ्रोटॉक्सिक दवाओं का सेवन करना है. विशेषज्ञों ने कहा कि धूम्रपान, मदिरा व दूसरे नशे की वस्तुओं के सेवन से बचें. चिकित्सकों ने कहा कि हमारे यहां कई गर्भवती महिलाएं भी आती हैं जिनका गुर्दा फेल हो जाता है इनमें प्रमुख कारणों में सेप्टिक अबॉर्शन, पोस्टपार्टम सेप्सिस, एक्लेम्पसिया तथा हेमरेज होता है. विशेषज्ञों ने महिलाओं से अपील की कि गर्भावस्था में वे कुशल चिकित्सक की देखरेख में रहें. उन्होंने इसके साथ ही इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी पर भी जोर दिया. एक अन्य कारण के बारे में जिक्र करते हुए चिकित्सकों ने कहा कि गुर्दा में पथरी होने से भी सतर्क रहें और कोशिश करते रहें कि शरीर में पानी की मात्रा पर्याप्त रहे.
विशेषज्ञों ने बताया कि कई नव युवकों के भी गुर्दा फेल हो जाते हैं इसका प्रमुख कारण ग्लोमेरूलो नेफ्राइटिस है. इस बीमारी में पेशाब में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं ब्लड आता है. जिससे किडनी पर असर पड़ता है और अगर इसका सफल इलाज नहीं हुआ तो आगे चलकर कुछ ही सालों में गुर्दा फेल हो जाता है. इसलिए इसमें लापरवाही न बरतें एवं कुशल चिकित्सक की देखरेख में इसका इलाज करें. विशेषज्ञों ने कहा कि कई बार इसके लक्षण एडवांस किडनी फेलियर में पता चलते हैं जब 50% से ज्यादा किडनी फेल हो जाती है. विशेषज्ञों ने बताया कि कुछ लक्षणों के देखने पर यदि सतर्कता बरती जाए तो किडनी फेल होने से बचाई जा सकती है. इन लक्षणों में शरीर में सूजन आ जाना, सांस फूलना, थकान होना, पेशाब की मात्रा 24 घंटे में आधा लीटर से कम होना. साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होना ब्लड प्रेशर बढ़ना शामिल हैं. अगर ये लक्षण दिखते हैं तो इसका अर्थ है कि गुर्दा तेजी से फेल हो रहा है.
कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी. हिमांशु ने कहा कि जिन मरीजों का गुर्दा फेल हो जाता है तो संस्थान में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है. साथ ही अब किडनी ट्रांसप्लांट की भी सुविधा दी जा रही है जो कि संस्थान की बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने संस्थान में उपलब्ध निशुल्क सेवाओं की भी जानकारी दी जिससे मरीजों को इलाज करवाने के लिए किसी भी तरह की असुविधा उत्पन्न न हो. इस मौके पर डॉ. अनुश बाबू, डॉ. विशाल पूनिया, डॉ. दुर्गेश ने भी लोगों के स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नों के उत्तर दिए. इस जागरूकता कार्यक्रम में मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र आतम, प्रोफ़ेसर कौसर उस्मान, प्रोफ़ेसर केके सावलानी, प्रोफेसर एमएल पटेल, डॉ अजय कुमार पटवा, डॉ हरीश गुप्ता, डॉ सतीश उपस्थित रहे.
यह भी पढ़ें : लखनऊ के लोहिया संस्थान में नर्सिंग भर्ती परीक्षा का रिजल्ट घोषित, 431 पदों के लिए हुई थी परीक्षा