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लखनऊ: KGMU के इंटर्न डॉक्टरों ने वाइस चांसलर को ज्ञापन सौंपकर रखी मांगे

लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में आज एमबीबीएस और बीडीएस के इंटर्न डॉक्टरों ने स्टाइपेंड बढ़ाए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. साथ ही वाइस चांसलर को अपनी मांगों का ज्ञापन भी सौंपा. इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं पूरी हो जाती तब तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहेगा.

इंटर्न डॉक्टरों का प्रदर्शन
इंटर्न डॉक्टरों का प्रदर्शन
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Published : Jul 10, 2020, 3:19 PM IST

लखनऊ: किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के एमबीबीएस और बीडीएस इंटर्न डॉक्टरों ने स्टाइपेंड बढ़ाए जाने की मांग की. साथ ही अपनी मांगों का ज्ञापन वाइस चांसलर को सौंपा. इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 10 सालों में महंगाई में कई गुना बढ़ोतरी हुई पर स्टाइपेंड 7500 प्रति माह, अभी भी बना हुआ है.

8 से 12 घंटे करते हैं काम

किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में इंटर्न कर रहे डॉक्टर अमरपाल यादव ने बताया कि पिछले 10 सालों में महंगाई में कई गुना बढ़ोतरी हुई पर स्टाइपेंड 7500 पे प्रति माह अभी भी बना हुआ है. हम इंटर्न इस कोविड महामारी के दौर में भी पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. उन्होंने ने बताया कि इंटर्न डॉक्टर लगातार 8 से 12 घंटे जहां भी जरूरत हो जैसे ट्रायज एरिया, फ्लू ओपीडी, इमरजेंसी, होल्डिंग एरिया, जहां पर की संक्रमण के सबसे ज्यादा रिस्क हैं, बिना किसी झिझक के भी अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं.

250 रुपये मिलते हैं प्रतिदिन

अमरपाल यादव का कहना है कि इतना कुछ करने बाद बदले में सरकार हमें 250 रुपये प्रतिदिन देती है जो की दैनिक मजदूर को मिलने वाली धनराशि से भी कहीं कम है. उनका कहना है कि एक तरफ सरकार हमें कोरोना वॉरियर कहती है और दूसरी तरफ इन्ही वॉरियर के साथ इस तरह का अन्याय हो रहा है.

अन्य संस्थानों में मिलते हैं अधिक स्टाइपेंड

केजीएमयू में मिलने वाला स्टाइपेंड केन्द्रीय चिकित्सा संस्थानों और दूसरे राज्यों के चिकित्सा संस्थानों की तुलना में काफी कम है. केन्द्रीय चिकित्सा संस्थानों में जहां इसी कार्य अवधि के लिए 23500 रुपये दिए जाते हैं. वहीं दूसरे राज्यों में भी 30000 रुपये तक की धनराशि दी जा रही है.

लखनऊ: किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के एमबीबीएस और बीडीएस इंटर्न डॉक्टरों ने स्टाइपेंड बढ़ाए जाने की मांग की. साथ ही अपनी मांगों का ज्ञापन वाइस चांसलर को सौंपा. इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 10 सालों में महंगाई में कई गुना बढ़ोतरी हुई पर स्टाइपेंड 7500 प्रति माह, अभी भी बना हुआ है.

8 से 12 घंटे करते हैं काम

किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में इंटर्न कर रहे डॉक्टर अमरपाल यादव ने बताया कि पिछले 10 सालों में महंगाई में कई गुना बढ़ोतरी हुई पर स्टाइपेंड 7500 पे प्रति माह अभी भी बना हुआ है. हम इंटर्न इस कोविड महामारी के दौर में भी पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. उन्होंने ने बताया कि इंटर्न डॉक्टर लगातार 8 से 12 घंटे जहां भी जरूरत हो जैसे ट्रायज एरिया, फ्लू ओपीडी, इमरजेंसी, होल्डिंग एरिया, जहां पर की संक्रमण के सबसे ज्यादा रिस्क हैं, बिना किसी झिझक के भी अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं.

250 रुपये मिलते हैं प्रतिदिन

अमरपाल यादव का कहना है कि इतना कुछ करने बाद बदले में सरकार हमें 250 रुपये प्रतिदिन देती है जो की दैनिक मजदूर को मिलने वाली धनराशि से भी कहीं कम है. उनका कहना है कि एक तरफ सरकार हमें कोरोना वॉरियर कहती है और दूसरी तरफ इन्ही वॉरियर के साथ इस तरह का अन्याय हो रहा है.

अन्य संस्थानों में मिलते हैं अधिक स्टाइपेंड

केजीएमयू में मिलने वाला स्टाइपेंड केन्द्रीय चिकित्सा संस्थानों और दूसरे राज्यों के चिकित्सा संस्थानों की तुलना में काफी कम है. केन्द्रीय चिकित्सा संस्थानों में जहां इसी कार्य अवधि के लिए 23500 रुपये दिए जाते हैं. वहीं दूसरे राज्यों में भी 30000 रुपये तक की धनराशि दी जा रही है.

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