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प्रोट्रीजीयो एसिटोगुलाई से पीड़ित मरीजों के कूल्हे का बोन ग्राफ्टिंग के जरिए प्रत्यारोपण - कूल्हे का बोन ग्राफ्टिंग के जरिए प्रत्यारोपण

राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज ( केजीएमयू ) के डॉक्टर्स ने दो महिला मरीजों के कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण किया है. इन महिला मरीजों का कूल्हा बोन टीबी और गठिया की वजह से खराब हो गया था. केजीएमयू के डॉक्टर्स ने बोन ग्राफ्टिंग तकनीक से इन महिलाओं के कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण किया.

कूल्हे का बोन ग्राफ्टिंग के जरिए प्रत्यारोपण
कूल्हे का बोन ग्राफ्टिंग के जरिए प्रत्यारोपण
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Published : Mar 10, 2021, 10:18 AM IST

लखनऊ : केजीएमयू में दो महिलाओं के कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण किया गया है. इसमें से एक महिला का कूल्हा गठिया और दूसरे का बोन टीबी की वजह से खराब हो गया था और उसकी हड्डी कमजोर होकर अंदर की ओर धंस गईं थी. जिसकी वजह से यूरिन ब्लैडर पर दबाव बढ़ गया था. ऐसे में आर्थोपेडिक सर्जन ने बोन ग्राफ्टिंग कर इनके कूल्हे का प्रत्यारोपण किया.

मरीज वंदना (62 वर्ष) और ललिता (34 वर्ष) चार वर्ष से बिस्तर पर थीं. इनमें एक को गठिया और दूसरे को बोन टीबी की बीमारी थी. जिसकी वजह से इन दोनों के कूल्हा खराब हो गये थे. इन दोनों मरीजों ने कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए. जिसके बाद वंदना और ललिता ने केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टर्स के पास पहुंची. जिसके बाद आर्थोपेडिक विभाग के डॉ. नरेंद्र कुशवाहा ने उनकी जांच कराईं.

प्रोट्रीजीयो एसिटोगुलाई से पीड़ित थीं दोनों मरीज

चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान दोनों के कूल्हे की हड्डी का पेल्विस के अंदर जाना पाया गया. जिसकी वजह से हड्डी यूरिनरी ब्लैडर से भी टकरा रही थी और इस पर दबाव बना रही थी. डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी को प्रोट्रीजीयो एसिटोगुलाई कहते हैं. दोनों महिला मरीजों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर्स ने तत्काल इनका ऑपरेशन करने का फैसला किया. डॉ. नरेंद्र कुशवाहा के मुताबिक पहले मरीज की बोन ग्राफ्टिंग का फैसला किया गया. इसमें बाहर से हड्डी मंगाने के बजाय मरीज की हड्डी का ही प्रयोग कर, हड्डियों की मजबूत दीवार बनाई गई. इसके बाद उनके कूल्हे का प्रत्यारोपण किया गया.

आयुष्मान योजना के तहत नि:शुक्ल हुआ इलाज

खास बात ये रही दोनों मरीजों के कूल्हे का प्रत्यारोपण आयुष्मान योजना के तहत नि:शुक्ल किया गया. आपको बता दें कि कूल्हे का ट्रांसप्लांट करने के लिए काफी जटिल ऑपरेशन करना पड़ता है और केजीएमयू के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टर्स ने इसे सफलता पूर्वक करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

लखनऊ : केजीएमयू में दो महिलाओं के कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण किया गया है. इसमें से एक महिला का कूल्हा गठिया और दूसरे का बोन टीबी की वजह से खराब हो गया था और उसकी हड्डी कमजोर होकर अंदर की ओर धंस गईं थी. जिसकी वजह से यूरिन ब्लैडर पर दबाव बढ़ गया था. ऐसे में आर्थोपेडिक सर्जन ने बोन ग्राफ्टिंग कर इनके कूल्हे का प्रत्यारोपण किया.

मरीज वंदना (62 वर्ष) और ललिता (34 वर्ष) चार वर्ष से बिस्तर पर थीं. इनमें एक को गठिया और दूसरे को बोन टीबी की बीमारी थी. जिसकी वजह से इन दोनों के कूल्हा खराब हो गये थे. इन दोनों मरीजों ने कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए. जिसके बाद वंदना और ललिता ने केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टर्स के पास पहुंची. जिसके बाद आर्थोपेडिक विभाग के डॉ. नरेंद्र कुशवाहा ने उनकी जांच कराईं.

प्रोट्रीजीयो एसिटोगुलाई से पीड़ित थीं दोनों मरीज

चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान दोनों के कूल्हे की हड्डी का पेल्विस के अंदर जाना पाया गया. जिसकी वजह से हड्डी यूरिनरी ब्लैडर से भी टकरा रही थी और इस पर दबाव बना रही थी. डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी को प्रोट्रीजीयो एसिटोगुलाई कहते हैं. दोनों महिला मरीजों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर्स ने तत्काल इनका ऑपरेशन करने का फैसला किया. डॉ. नरेंद्र कुशवाहा के मुताबिक पहले मरीज की बोन ग्राफ्टिंग का फैसला किया गया. इसमें बाहर से हड्डी मंगाने के बजाय मरीज की हड्डी का ही प्रयोग कर, हड्डियों की मजबूत दीवार बनाई गई. इसके बाद उनके कूल्हे का प्रत्यारोपण किया गया.

आयुष्मान योजना के तहत नि:शुक्ल हुआ इलाज

खास बात ये रही दोनों मरीजों के कूल्हे का प्रत्यारोपण आयुष्मान योजना के तहत नि:शुक्ल किया गया. आपको बता दें कि कूल्हे का ट्रांसप्लांट करने के लिए काफी जटिल ऑपरेशन करना पड़ता है और केजीएमयू के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टर्स ने इसे सफलता पूर्वक करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

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